ताजा-खबरें
अनकटैगराइड्ज राष्ट्रीय

पाकिस्तान के खिलाफ भारत की कूटनीति रंग लाई, इस्लामिक देशों ने भेजा सुषमा को न्योता

 

नई दिल्ली ।  अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग थलग पड़े पाकिस्तान के लिए सिर्फ इस्लामिक देशों के संगठन यानी ओआइसी ही एक ऐसा मंच था जहां वह भारत के खिलाफ आवाज उठा पाता था। लेकिन अब भारत ने वहां भी सेंध लगा दी है।

आर्गनाइजेशन आफ इस्लामिक कोआपरेशन (ओआइसी) की 1 मार्च, 2019 को अबू धाबी में होने वाली बैठक के ओआइसी विदेश मंत्रियों के विशेष सत्र को संबोधित करेंगी। उनकी पूरी कोशिश होगी कि पाकिस्तान के सबसे मजबूत कूटनीतिक मंच से ही उसके आतंकी चेहरे को बेनकाब किया जाए।

पुलवामा हमले के तुरंत बाद आये इस आमंत्रण का अपना महत्व है जो ना सिर्फ दक्षिण एशिया की राजनीति पर, बल्कि कश्मीर समस्या पर भी आने वाले दिनों में असर डालेगा। इस आमंत्रण ने ओआइसी में बतौर आब्जर्बर शामिल होने के लिए भी भारत की राह खोल दी है। भारत लगातार यह दावा करता रहा है कि दुनिया में दूसरे सबसे बड़े मुस्लिम आबादी वाले देश होने ने नाते उसे इस संगठन में प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए। लेकिन पाकिस्तान के कड़े विरोध की वजह से यह संभव नहीं हो पा रहा था।

पिछले कई वर्षो से इस संगठन में किसी न किसी रूप में शामिल होने की कोशिश में जुटे भारत को मिली इस सफलता का श्रेय मोदी सरकार की तरफ से खाड़ी देशों के साथ खास संबंध स्थापित करने की कोशिशों को दिया जा रहा है। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी विज्ञप्ति में सूचना दी गई है कि इस बार का आयोजन ओआइसी की 50वीं वर्षगांठ के लिहाज से काफी अहम होगा।

यूएई के विदेश मंत्री शेख अबदुलल्ह बिन जायेद अल नेहयान अगले शुक्त्रवार को इसका आगाज करेंगे जिसमें 56 सदस्य देश और आबजर्बर देश हिस्सा लेंगे। मित्र राष्ट्र भारत इसमें अपनी अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक छवि, विविधता और एक महत्वपूर्ण इस्लामिक प्रतिनिधि की वजह से मेहमान राष्ट्र के तौर पर हिस्सा लेगा। भारतीय विदेश मंत्रालय ने बताया है कि यह आमंत्रण खाड़ी देशों व इस्लामिक देशों की तरफ से जताई गई मजबूत इच्छाशक्ति है कि वे भारत के साथ सामान्य व्यापारिक व कूटनीतिक रिश्तों से आगे जाना चाहते हैं। खास तौर पर यूएई ने भारत के साथ अपने रणनीतिक रिश्तों को और ज्यादा मजबूत करने की प्रतिबद्धता दिखाई है।

यह भारत में रहने वाले 18.5 करोड़ मुसलमानों के साथ ही भारत की विविधता व इस्लामिक विश्र्व को भारत के योगदान के प्रति आदर दिखाने वाला भी है। भारत आमंत्रण को स्वीकार कर खुश है।

भारत के इस उत्साह की कई वजहें है। सबसे पहले तो ठीक 50 वर्ष पहले मोरक्को के रबात में ओआइसी की बैठक में हिस्सा लेने गए भारतीय दल को पाकिस्तान के विरोध की वजह से अंत समय में बैरंग लौटा दिया गया था जिसे भारतीय कूटनीति की सबसे बड़ी हार के तौर पर देखा जाता है। तब तत्कालीन कृषि मंत्री फखरुद्दीन अली अहमद ने भारतीय दल का नेतृत्व किया था।

दूसरी वजह यह है कि इस संगठन की सालाना बैठक में कई बार पाकिस्तान के समर्थन में कश्मीर विरोधी बयानबाजी होती रही है। दो वर्ष पहले ओआइसी के घोषणा पत्र में कश्मीर में भारतीय सैन्य कार्रवाइ को आतंकवादी कार्रवाई करार दिया गया था।

तीसरी वजह यह है कि पाकिस्तान सरकार की तरफ से इस बार कश्मीर को लेकर बड़ी बयानबाजी की तैयारी थी और इसके लिए वह कुछ देशों के साथ संपर्क में भी था। यह आमंत्रण पाकिस्तान की सरकार और वहां की सेना के लिए भी करारा धक्का है जो अपनी अवाम को यह बताता रहता है कि इस्लामिक देश उनके साथ हैं।

भारत को यह कूटनीतिक सफलता दिलाने में यूएई के शासक अल नेहयान केअलावा दो दिन पहले राजकीय यात्रा पर आये सऊदी अरब के प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की भूमिका भी अहम रही है। इन दोनों के अलावा भारत ने इस संगठन के दूसरे कई इस्लामिक देशों के साथ बेहद करीबी संबंध कायम किए हैं। पीएम नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने खाड़ी व मध्य एशिया के दूसरे देशों के साथ संबंधों को मजबूत बनाने पर खास तौर पर ध्यान दिया है।

 

About the author

snilive

Add Comment

Click here to post a comment

Videos

Error type: "Forbidden". Error message: "Method doesn't allow unregistered callers (callers without established identity). Please use API Key or other form of API consumer identity to call this API." Domain: "global". Reason: "forbidden".

Did you added your own Google API key? Look at the help.

Check in YouTube if the id youtube belongs to a username. Check the FAQ of the plugin or send error messages to support.