इलाहाबाद | राष्ट्रीय शिल्प मेला के भव्य आयोजन के दोरान उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र के शिल्प हाट में दुसरे दिन 23 प्रदेशों से आये शिल्प एवं व्यंजनों के साथ लोक एवं जनजातीय नृत्यएवं संगीत की प्रस्तुतियों के बीच अपने इलाहाबाद के भी कलाकारोंव शिल्पियों को ख़ास स्थान मिलाइस बार इलाहाबाद के 26 शिल्पकारों एवंख़ानसामाओं को अपने हुनर को दिखने का सुअवसर मिला है जिनकोदेखने, खरीदने एवं चखने के लिए शहरवासियों ने भारी संख्या में पहुंच करमेले को गुलज़ार बना दिया।
शिल्प हाट मेंराजस्थान से आयेनिखिल श्रीवास्तव की “संगमरमर की मूर्तियों” कास्टाल जिसका नं० 66 है आज दर्शकों एवं खरीदारों के बीच में चर्चा काविषय बना रहा। यहाँ पर श्री निखिल संगमरमर को तराश कर बनाया गयाकछुआ और बत्तख लाये है जिसकी खासियत ये है की पत्थर का होकर भीजिसका वजन करीब 500 ग्राम है वो पानी पर तैरता है जो अपने आप मेंकला का अनूठा उदाहरण है। श्री निखिल ने बताया की तैरते कछुए कीकीमत 800 रूपए और बत्तख की कीमत 1000 रूपए मात्र है। इसकेइलावा उनके स्टाल पर 100 रूपए से लेकर एक लाख रूपए तक कीकीमत वाली संगमरमर से निर्मित मूर्तियाँ, चकले, गिलास, वाटर फाउंटेन,घड़ी, नाईट लैंप, इत्यादि घरेलु सजावट एवं उपयोग की वस्तुएँ उपलब्ध है।इसी क्रम में लोगों को अपने इलाहाबाद की श्रीमती भावना केसरवानी कीहोम मेड चॉकलेट इस ठण्ड के मौसम में हर उम्र के लोगों के बीच हाथों हाथपसंद की गयी जसके फल स्वरुप उनके स्टाल नं 93 पर काफी भीड़ देखीगयी।
इसी क्रम में केंद्र के प्रभारी निदेशक,नरेंद्र सिंह ने जानकारीदेते हुए बताया की सोशल मीडिया पर भी राष्ट्रीय शिल्प मेला लाइक्स, शेयरऔर कमेंट्स के रूप में काफी तारीफ बटोर रहा है। उन्होंने बताया की मेलेको ऑनलाइन देखने और कमेंट/ट्वीट करने वालों में संस्कृतिमंत्री, भारत सरकार, डॉ महेश शर्मा; हरयाणा केमुख्य मंत्रीमनोहर लाल खट्टर; नई दिल्ली; संस्कृति मंत्रालय भारतसरकार; प्रमुख शख्सियत एवं संसथान है जो अपने आप में इस मेला कीभव्यता को बयां करता है। इस मेले को पूरे देश भर में लाइव वेबकास्ट द्वारा देखा एवं सराहा जा रहा है।
आज की सांस्कृतिक संध्या की शुरुआत बिरहा गायन से हुई जिसे मिर्ज़ापुरसे आयी सुश्री सरोज सरगम एवं उनके दल ने प्रस्तुत किया जिसके उपरांतलोगों को अपने इलाहाबाद के ही सुप्रसिद्ध गायकतरुण नन्दी की ग़ज़लएवंधर्मेश दीक्षित का भोजपुरी गायन सुनने को मिला जिसने सबकोमंत्रमुग्ध कर दिया।
आज विश्व दिव्यांग दिवस के अवसर पर शहर की उभरती हुई युवाकलाकार सुश्री मानसी श्रीवास्तव द्वारा प्रस्तुत भरतनाट्यम नृत्य देख करसहसा ही सभी दर्शक ठिठक उठे की उन्होंने दिव्यांग होते हुए भी ऐसी दक्षप्रस्तुति दी जो शायद किसी साधारण व्यक्ति के लिए भी बिना अथक प्रयासके यथा संभव नहीं है। उन्होंने अपनी प्रस्तुति की शुरुआत आलारिपु से कीजिसके उपरांत भरतनाट्यम के प्रथम श्लोक अंगिकम भुवनांम से गुरुवंदनाकी ,पंचमूर्ति कौत्वम उनकी अंतिम प्रस्तुति थी जिसमें उन्होंने दुर्गा पंडाल मेंस्थापित होने वाली सभी पाँचों शक्तियों की वंदना की।
इसके उपरांत दर्शकों को सागर, मध्य प्रदेश से आये श्री नदीमएवं उनके दल ने राई नृत्य, सोनभद्र से आये श्री कतवारू एवं उनके दल नेकर्मा नृत्य, खंडवा, मध्य प्रदेश से आयी श्रीमती साधना उपाध्याय एवं उनकेदल ने गणगौर नृत्य, कश्मीर से आयी सुश्री रुबीना एवं उनके दल ने मेहंदीरात नृत्य प्रस्तुत किया। आज की अंतिम प्रस्तुति नौरता नृत्य के रूप में रहीजिसे पुनः सागर, मध्य प्रदेश से आये श्री नदीम एवं उनके दल ने प्रस्तुतकिया। इस तरह कुल मिला कर के दर्शकों को 10 प्रस्तुतियाँ देखने को मिलीजिसे शहरवासियों की खूब सराहना मिली।
आज के कार्यक्रम का मंच सञ्चालन सुप्रसिद्ध उद्धघोषिकाश्रीमती अपर्णा रंजन ने किया एवं उन्होंने कल के सांस्कृतिक कार्यक्रमों केबारे में जानकारी देते हुए बताया की कल का सांस्कृतिक कार्यक्रम सांय05:30 बजे से शुरू हो जायेगा।
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