वर्ष 2019 का अर्द्धकुंभ शहर के लिए कई सौगातें लेकर आएगा। सूरत तो बदलेगी ही, चर्चा इस बात की भी है आयोजन के पूर्व इलाहाबाद का नाम प्रयाग भी किया जा सकता है। शासन स्तर पर इस ओर प्रयास भी किए जा रहे हैं। बुधवार को अर्द्धकुंभ से जुड़े कार्यों का शिलान्यास करने शहर आए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस बात के स्पष्ट संकेत भी दिए हैं। अपने उद्बोधन में उन्होंने इलाहाबाद को प्रयाग के नाम से ही संबोधित किया। इससे पूर्व शहर आए संघ के सर संघसंचालक मोहन भागवत ने भी संबोधन में एक बार भी इलाहाबाद का नाम नहीं लिया, जब भी अवसर आया उन्होंने प्रयाग ही बोला।
दरअसल, मुगलकाल में बादशाह अकबर ने प्रयाग का नाम अल्लाहबाद कर दिया था, जो आम-बोलचाल में इलाहाबाद बोला जाने लगा। अंग्रेजी वर्णमाला में इसका उच्चारण करने पर आज भी अल्लाहबाद ही बोला जाता है। लंबे समय से कई संस्थाएं इलाहाबाद का नाम प्रयाग करने की मांग करती आ रही हैं। इसके पीछे तर्क दिया गया है कि जब मद्रास का नाम चेन्नई, बंबई का नाम मुंबई और कलकत्ता का नाम कोलकाता किया जा सकता है तो इलाहाबाद को उसका पुराना नाम प्रयाग क्यों नहीं दिया जा सकता है। वैसे भी प्रयाग तीर्थराज हैं। उधर प्रदेश में भाजपा सरकार बनने के बाद कई दिनों से इस बात की चर्चा चल रही है कि इलाहाबाद का नाम प्रयाग किया जा सकता है।
योगी सरकार द्वारा अभी हाल ही में मुगलसराय स्टेशन का नाम दीनदयाल उपाध्याय किया गया है। इसके पूर्व हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने गुड़गांव का नाम गुरुग्राम किया है। देश के कई अन्य शहरों के नाम भी वहां की राज्य सरकारों द्वारा बदले गए हैं। इसमें बंगलौर का बंगलूरू, मद्रास का चेन्नई, पूना का पुणे, बंबई का मुंबई, कलकता का कोलकाता, गोहाटी का गुवाहाटी किया गया है।




Add Comment