नई दिल्ली । वैज्ञानिकों ने एक ऐसी डिवाइस तैयार की है जिसका आने वाले समय में व्यापक तौर पर इस्तेमाल होने की उम्मीद है। अगर ऐसा होगा तो पेट्रोल-डीजल पर निर्भरता खत्म या न्यूनतम हो जाएगी। खासतौर पर कारों में इस डिवाइस का इस्तेमाल होने से प्रदूषण के स्तर को भी नियंत्रित रखने में मदद मिलेगी।
दरअसल वैज्ञानिकों ने जो डिवाइस तैयार किया है वह बेहद कम लागत में और कहीं अधिक दक्षता से सौर ऊर्जा का इस्तेमाल ऊर्जा को तैयार करने में और उसे स्टोर करने में कर सकती है। इस ऊर्जा का इस्तेमाल इलेक्ट्रॉनिक उपकरण चलाने में किया जा सकता है और इसके साथ ही इससे इको फ्रेंडली यानी पर्यावरण के अनुकूल हाइड्रोजन ईंधन भी तैयार किया जा सकता है। यह डिवाइस हाइड्रोजन कारों को सामान्य लोगों की पहुंच में लाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती है, क्योंकि इससे निकेल, आयरन और कोबाल्ट जैसे तत्वों का इस्तेमाल कर हाइड्रोजन तैयार की जा सकती है। ये तत्व न केवल प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं, बल्कि कम लागत वाले भी हैं।
इनके विपरीत जब प्लेटिनम और दूसरी कीमती धातुओं से हाइड्रोजन बनाई जाती है तो वह कहीं अधिक महंगी पड़ती है और इस लिहाज से सामान्य लोगों के लिए ऊर्जा के रूप में हाइड्रोजन का इस्तेमाल मुश्किल हो जाता है। एक बड़ी समस्या यह है कि मौजूदा तरीके से हाइड्रोजन बनाने में बड़ी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन होता है, जो कि पर्यावरण के लिए ठीक नहीं है।
हाइड्रोजन एक शानदार ईंधन
कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रिचर्ड केनर के मुताबिक वाहनों के लिए हाइड्रोजन एक शानदार ईंधन है। यह वह सबसे साफ ईंधन है। यह सस्ता भी है और इससे कोई प्रदूषण पैदा नहीं होता। हम अगर सस्ती हाइड्रोजन का निर्माण कर सकें तो इससे चलने वाली कारों की लागत में नाटकीय कमी लाई जा सकती है। इस डिवाइस से संबंधित शोध का प्रकाशन एनर्जी स्टोरेज मैटीरियल जर्नल में हुआ है।
ग्रामीण क्षेत्रों में साबित होगी ज्यादा उपयोगी
केनर कहते हैं कि हमारी तकनीक ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत अधिक उपयोगी साबित हो सकती है। इसी तरह दूरदराज के क्षेत्रों में तैनात सैन्य यूनिटें भी इससे लाभान्वित हो सकती हैं। लोगों को अपने वाहन चलाने के लिए ईंधन और उपकरणों के लिए बिजली की जरूरत होती है। अब आप एक ही डिवाइस से बिजली और ईंधन, दोनों बना सकते हैं।
बिजली स्टोर करने की समस्या का होगा समाधान
शोधकर्ताओं का दावा है कि उनकी डिवाइस से बड़े शहरों में बिजली स्टोर करने की समस्या का समाधान भी निकल सकता है। केनर के मुताबिक अगर आप बिजली को हाइड्रोजन में परिवर्तित कर सकें तो आप इसे अनंत काल के लिए स्टोर कर सकते हैं।
यह है तकनीक
परंपरागत हाइड्रोजन फ्यूल सेल और सुपर कैपिसेटरों में दो इलेक्ट्रोड होते हैं- एक पाजिटिव और दूसरा निगेटिव। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा तैयार की गई डिवाइस में एक तीसरा इलेक्ट्रोड भी है। यह एक सुपरकैपिसेटर (ऊर्जा के स्टोरेज के लिए) का भी काम करता है और एक ऐसे उपकरण का भी जो पानी को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में अलग-अलग कर सके। पानी से हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को अलग-अलग करने की प्रक्रिया को वाटर इलेक्ट्रोलिसिस कहा जाता है। सभी तीनों इलेक्ट्रोड एक सोलर सेल से जुड़े होते हैं, जो कि डिवाइस के लिए पावर सोर्स का काम करता है। सोलर सेल के जरिए एकत्र होने वाली विद्युत ऊर्जा को या तो सुपर कैपिसेटर में इलेक्ट्रोकेमिकल रूप में या फिर हाइड्रोजन के रूप में केमिकल तरीके से एकत्र किया जा सकता है।
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