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इलाहाबाद

मनसैता नदी का अस्तित्व खतरे मे नही किया जा रहा शासन की तरफ से कोई पहल

इलाहाबाद । थरवई क्षेत्र के मन का मनकेश्वर कहा जाने वाला मनसैता नदी का अस्तित्व खतरे मे नजर आ रहा है। जहां एक ओर श्रृंग्रेरपूरम को पर्यटन का दर्जा दिया गया है। वही इस मनकेश्वर नाथ धाम कहा जाने वाला नदी को कोई शासन व नेता सुध लेने नही आता की इस क्षेत्र मे स्थित मनकेश्वर नाथ धाम व मनसैता नही को भी लोग देश व विदेश मे जाने।

बहुत पुरानी कहावत है। कि इस मनसैता नदी मे स्नान करने से सारे किये हुये पाप धूल जाते है। इस लिये इस नदी का नाम मनसैता नदी पड़ा।

हर साल इस श्री कृष्ण जन्म अष्टमी पर इस मनसैता नदी के बगल स्थित मनकेश्वर नाथ धाम मे एक बहुत बड़ा मेला लगता है। जहां पर हजारों मात्रा मे लोग आते है। सब से पहले लोग इस मनसैता नदी मे स्नान करते है। उसके उपरांत नदी के बगल मे स्थित मनकेश्वर जी का शिव मंदिर मे दर्शन करते है।

लोगों का कहना है की बहुत जमाने पहले यहाँ पर श्रृषि मुनि रहते थे। और भगवान शिव का आराधना करते थे। एक बार भगवान शिव ने एक भक्त श्रृषि मुनि के खाव्ब मे आकर दर्शन दिया। और कहा कि जो भी इस मनसैता नही मे स्नान कर मेरे शिव लिंग का दर्शन करेगा। उसके सारे पाप नाष्ट हो जायेगे। उसके बाद उस श्रृषि मुनि ने भगवान शंकर का अवाहन कर शिव लिंग को वहाँ पर स्थापित किया। कुछ सालो बाद वहाँ पर एक मंदिर का निर्माण किया गया।तब से इस मनसैता नदी मे लोग स्नान करते है। और भगवान मनकेश्वर जी का दर्शन कर अपने किये गये पापों के लिये छमा याचना करते है।

इस श्री कृष्ण जन्म अष्टमी पर इस मनसैता नही पर बहुत बडे़ मेला का आयोजन किया जाता है। जहां पर दूर दराज और पास के लोग मेला देखने आते है। और भगवान मनकेश्वर का आर्शिवाद प्राप्त करते है। लेकिन अपने आप मे अभावो मे जूझ रहा यह मनसैता नदी पर बसे मनकेश्वर नाथ धाम जाने के लिये कोई सड़क ठीक से है। ना तो मंदिर मे किसी प्रकार का व्यावस्था संचालित है। जिससे लोगों को वहाँ पर रुकने पर मजबूर कर दे। इस मेले मे मनसैता कमेटी की अहम भूमिका रहती है। जो मेला समंपन करने मे अपने भूमिका अदा करती है।

मेला पदाधिकारीयो का कहना है। अगर इस मनसैता नदी पर बने मनकेश्वर मंदिर को सरकार द्वारा संयोग मिल जाता तो यह देश ही विदेश मे भी लोग इस मनसैता नदी की विषेषता के बार मे जान सकते। अगर सरकार इस मनकेश्वर मंदिर व मनसैता नदी को पर्यटन घोषित कर दे। तो इस क्षेत्र का विकास हो जाये। संगम मेले के दौरान इस भगवान शिव द्वारा दिया गया। वरदान जो सभी पापो का निवारण करता है। विदेशियों का एक रूझान यहाँ पर आने के लिये आकर्षित करेगा। व मेले मे अपने ही देश से अन्य प्रान्तो से आये हुये लोग इस मनसैता नदी पर बसे भगवान मनकेश्वर जी का दर्शन कर सकते है।

इस लिये सरकार को अपने पर्यटन लिस्ट मे पाडेश्वर नाथ धाम पड़िला के साथ इसको भी सामिल करना चाहिये। क्यों की पंडावो द्वारा बसाया गया। यह पांडेश्वरनाथ धाम से महज चार किलोमीटर पर यह मनसैता नही व मनकेश्वर जी का मंदिर स्थित है।

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