इलाहाबाद । प्रबंधन द्वारा इलाहाबाद बैंक की सिविल लाइंस शाखा परिसर के लॉन को बेचने का निर्णय लिया गया है। देश के सबसे पुराने बैंकों में शामिल इस बैंक की स्थापना इसी परिसर में हुई थी। सलाहकार की नियुक्ति का विज्ञापन निकालने के साथ जमीन बेचने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है। इसे लेकर कर्मचारियों में नाराजगी है।
इलाहाबाद और बैंक ऑफ बड़ौदा देश में दो ऐसे राष्ट्रीकृत बैंक हैं, जिनका नामकरण किसी जिले के नाम पर हुआ है। इस तरह से इलाहाबाद बैंक यहां की पहचान है, लेकिन जहां इस बैंक की नींव रखी गई उस परिसर को ही विखंडित करने की तैयारी है। इलाहाबाद बैंक घाटे से गुजर रहा है। इसकी भरपाई के लिए भारत सरकार ने संपत्तियों को बेचने की सलाह दी है।
इसी क्रम में प्रबंधन ने देश भर में बैंक की 12 संपत्तियों को बेचने का निर्णय लिया है। इसमें सिविल लाइंस शाखा का लॉन भी शामिल है। इन संपत्तियों को बेचने के लिए बैंक ने सलाहकार की नियुक्ति करने का निर्णय लिया है। इसके लिए विज्ञापन निकाला गया है। सलाहकार की नियुक्ति के बाद बिक्री की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। कर्मचारी नेता मदनजी उपाध्याय का कहना है कि इसकी जानकारी हुई है। बैंक प्रबंधन तथा यूनियन के केंद्रीय नेताओं से इसकी सत्यता बाबत जानकारी मांगी गई है। यदि ऐसा है तो हर स्तर पर विरोध होगा।
‘बैंक घाटे में चल रहा है। इसे कम करने के लिए बैंक की संपत्तियों को बेचने का निर्णय लिया गया है। इसमें सिविल लाइंस शाखा परिसर स्थित लॉन भी शामिल है। बिक्री सलाहकार की मदद से की जाएगी। इसके लिए विज्ञापन निकाला गया है। यह मुख्यालय का निर्णय है। ’ -हरिमोहन, डीजीएम
इन जिलों की बेची जाएगी संपत्ति :
इलाहाबाद, बरेली, झांसी, गोरखपुर, जबलपुर, नैनीताल, मंसूरी, लखनऊ, सीतापुर, मुरादाबाद, पैडर रोड मुंबई एवं अंधेरी।
इलाहाबाद बैंक देश के सबसे पुराने बैंकों में शामिल है। बैंक के डाक्यूमेंट के अनुसार इसकी शुरुआत सिविल लाइंस शाखा में 24 अप्रैल को 1864 में हुई थी। हालांकि, व्यवहार में यह काफी पहले शुरू हो चुका था और इसे देश का सबसे पुराना बैंक होने का दर्जा प्राप्त है। बैंक में कार्यरत वरिष्ठ अफसरों और कर्मचारियों का कहना है कि बैंक की शुरुआत चौक स्थित बच्चाजी अपार्टमेंट में हुई थी। वहां से इसे लोकनाथ शाखा परिसर में ले जाया गया।




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