नई दिल्ली। कहा जाता है कि हम गलतियां करते हैं तभी सीखते हैं लेकिन जब समाज में गलतियां होती रहती हैं और समाज नहीं सीखता तो वह कुरीति बन जाती है। कुरीतिया हर धर्म में होती हैं उनको सुधारना ही पेड़ में एक नई शाखा निकलने जैसा होता है बिल्कुल नई कोमल सुंदर शाखा जिसे देखकर मन को शांति मिलती है और खुशी का एहसास होता है ऐसी ही खुशी आज मुस्लिम महिलाओं को हो रही होगी जब मुसलमानों के बीच प्रचलित तीन तलाक की कुरीति पर आज सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक़ जैसी कुरीति को असंवैधानिक बताया। सायरा बानो केस में पांच जजों की पीठ में से तीन जजों ने बहुमत से अपना फैसला सुनाया। इस फैसले का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
ने सम्मान किया और महिला सशक्तीकरण से जोड़ते हुए ऐतिहासिक करार दिया है। मुस्लिम संगठनो ने भी बेमन से और झिझकते हुए इस फैसले का स्वागत किया है। मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड ने जल्द ही कोर्ट के फैसले के सापेक्ष सुधारात्मक उपायों की घोषणा करने की बात कही है। फिलहाल मुस्लिम महिलाओं की सामाजिक स्थिति में सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला बड़ा और कितना असरदार साबित होगा यह उस समय स्पष्ट होगा जब केंद्र सरकार तीन तलाक़ के मुद्दे पर क्या कानून बनाती है और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड क्या सुधार करके सुप्रीम कोर्ट में पेश करते है।उधर कई राजनीतिक पंडित इसे चुनावी मुद्दा समझ रहे हैं।
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