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नोटबंदी: 23 लाख अकाउंट में जमा हुई रकम पर , अब IT की नजर

नई दिल्ली  ।  नोटबंदी में 500 और 1,000 रुपये के पुराने नोट बैंक में जमा कर काले धन को सफेद बनाने की खुशी मना रहे लोगों की जल्द ही नींद उड़ सकती है। आयकर विभाग ने 23 लाख से अधिक ऐसे बैंक खातों की पहचान की है, जिनमें नोटबंदी के दौरान भारी भरकम कैश जमा हुआ। विभाग अब एक-एक कर ऐसे बैंक खातों की पड़ताल कर रहा है। विभाग उन लोगों से हिसाब मांग रहा है, जिनके खाते में यह रकम जमा हुई है।

सूत्रों के मुताबिक आयकर विभाग ने नोटबंदी के बाद संदिग्ध बैंक खातों की पड़ताल के लिए ऑपरेशन क्लीन मनी शुरू किया था। इसके तहत बैंकों से उन खातों की जानकारी देने के लिए कहा था कि जिनमें नोटबंदी के दौरान भारी-भरकम नकदी जमा हुई है। ऑपरेशन क्लीन मनी के पहले चरण में विभाग ने ऐसे 17.92 लाख बैंक खातों की पहचान की, जिनमें बड़ी मात्रा में पुराने नोट जमा हुए। विभाग की विशेष टीमें इन खातों का ई-वेरीफिकेशन कर रही हैं। इसके बाद विभाग ने मई में ऑपरेशन क्लीन मनी का दूसरा चरण शुरू किया। इस दौरान 5.68 लाख नए खातों की पहचान छानबीन के लिए की गई। इस तरह 23 लाख से अधिक बैंक खातों पर विभाग नजर रख रहा है।

इतना ही नहीं, विभाग ने नोटबंदी के बाद सर्वे और छापेमारी की कार्रवाई में अब तक 23,000 करोड़ रुपये से अधिक अघोषित आय भी पकड़ी है। यह आय डॉक्टरों से लेकर ज्वैलरों और रियल एस्टेट वालों के यहां पड़ताल से मिली है। सूत्रों ने कहा कि ऑपरेशन क्लीन मनी के पहले चरण में 900 समूहों पर आयकर विभाग ने छापेमारी की। इसमें उन्होंने 16,398 करोड़ रुपये की अघोषित आय स्वीकार की। इस कार्रवाई में विभाग ने 636 करोड़ रुपये कैश सहित 900 करोड़ रुपये की संपत्ति भी जब्त की। इसके अलावा 8,239 मामलों में सर्वे कार्रवाई की गई। इसमें विभाग ने 6,746 करोड़ रुपये की अघोषित आय पकड़ी। आयकर विभाग ने 400 से अधिक मामले जांच के लिए आयकर विभाग और सीबीआइ के पास भी भेजे हैं।

सूत्रों ने कहा कि आयकर विभाग ने अब तक जो जांच की है, उसमें पता चला है कि नोटबंदी के दौरान तमाम ज्वैलरों, पेट्रोल पंपों, व्यापारियों, रियल एस्टेट वालों, डॉक्टरों, सरकारी कर्मचारियों और शेल कंपनियों ने जमकर पुराने नोट बैंकों में जमा किए। इसके अलावा पूर्वोत्तर में आयकर से छूट की सुविधा का भी दुरुपयोग लोगों ने पुराने 500 और 1000 रुपये के नोट जमा करने के लिए किया।

नोटबंदी के दौरान जो धनराशि बैंक में जमा हुई है, उसके आंकड़े आयकर विभाग के पास आ गए हैं। इसलिए जो लोग यह समझ रहे हैं कि बैंक में कैश जमा होने से ही वह सफेद हो गया तो यह तथ्य सही नहीं है। नोटबंदी के दौरान बैंक में जमा हुई रकम आयकर के रडार पर है।

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