मड़ियाहूं । योगी सरकार कितना भी प्रयास भ्रष्टाचार रोकने के लिए करे लेकिन जनपद के मड़ियाहूं तहसील के उपनिबंधक (रजिस्ट्री) कार्यालय के ज़िम्मेदारों को जरा सा भी भय नहीं है ।स्टाम्प वेंडरों,भूमि क्रय प्रपत्र लेखकों के माध्यम से भूमि क्रेताओं से खुले आम एक
से दो प्रतिशत की वसूली दबंगई के बल पर की जा रही है।
तहसील के रजिस्ट्री कार्यालय में भूमि क्रेता सर्किल रेट के अनुसार सड़क ,चक मार्ग ,आबादी के हिसाब से स्टाम्प शुल्क सरकारी राजस्व के रूप में देता है ।इसके अलावां कार्यालय शुल्क अलग से देता है ।उसके बाद शुरू होता है धन उगाही का खेल , कागजात का ऑनलाइन तथा क्रेता और बिक्रेता की फ़ोटो खिंचने वाले कर्मचारी की
सुबिधा शुल्क 200 रुपया प्रति रजिस्ट्री , रजिस्ट्री प्रपत्र का जांच करने वाला बाबू झूठ मुठ की कमी कागजात में अपने दलाल के माध्यम से भूमि क्रेता को बताकर एक से दो प्रतिशत की वसूली क्रेता को यह भय दिखाकर वसूल करता है कि रजिस्टार साहब स्टाम्प कमी में भेज देंगे, जांच में भेज देंगे आदि दिखाकर दबंगई के साथ वसूल करता है ।
क्रेता बेचारा उनके फंद में फंसकर देने को मजबूर हो जाता है ।और रजिस्ट्री कार्यालय से यह कहते हुए निकलता है कि नौ की लकड़ी नब्बे
खर्चा है ।मड़ियाहूं रजिस्ट्री कार्यालय के अधिकारी ,कर्मचारी सरकार के राजस्व को भी चुना लगाते हैं। जिस रजिस्ट्री में कम स्टाम्प लगा होता है ,जैसे सड़क ,चकमार्ग ,आबादी या व्यवसायिक भूमि को अपनी
मोटी सुबिधा शुल्क की फीस लेकर सौ टका सही दिखाकर पास कर देते हैं ।अंतिम पड़ाव पर लेखपाल जांच और रिपोर्ट लगाने के नाम
पर वसूली करते है ।
ऐसा नही है कि तहसील या जिले के अन्य आला अधिकारियों को रजिस्ट्री कार्यालय के इस गोरख धंधे की जानकारी नही है ।इस भ्रष्टचार में सभी संलिप्त हैं।नाम न छापने की शर्त पर कार्यालय का
एक कर्मी बताया कि प्रति रजिस्ट्री के हिसाब से शाम को तहसील के सभी बड़े अधिकारियों को हिस्सा जाता है ।
ऐसी स्थिति में जहां पूरे कुएं में भांग पड़ी है तो उसकी सफाई मोदी,योगी या कोई और कैसे कर सकता है ।
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