नई दिल्ली । रॉफेल लड़ाकू विमान सौदे में गड़बड़ी के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए सरकार ने कांग्रेस पर बेहद तगड़ा पलटवार किया है। सरकार के अनुसार पूरी प्रक्रिया और पारदर्शिता के साथ रॉफेल की खरीद की गई है।
रक्षामंत्री निर्मला सीतारामण ने सौदे पर सवाल उठा रही कांग्रेस को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि यूपीए सरकार ने देश की अपरिहार्य रक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए दस साल में कुछ नहीं किया। इसीलिए वायुसेना की आपात जरूरतों को देखते हुए एनडीए ने पूरी पारदर्शिता के साथ फ्रांस सरकार के जरिए रॉफेल सौदे को मंजूरी दी। रक्षामंत्री ने कांग्रेस के आरोपों को शर्मनाक करार देते हुए कहा कि राजनीति से प्रेरित आरोप लगाकर वह देश का नुकसान कर रही है।
रक्षामंत्री ने शुक्रवार को रॉफेल डील से जुड़े तथ्यों को कहा कि एनडीए सरकार को सत्ता संभालने के बाद वायुसेना की बेहद सख्त जरूरत को देखते हुए पूरी तरह से हथियारों से लैस व तैयार 36 रॉफेल लड़ाकू विमानों की आपात खरीद करनी पड़ी क्योंकि यूपीए सरकार दस वर्षो तक अनिर्णय की स्थिति में रही।
खरीद में प्रक्रिया का पालन नहीं करने के कांग्रेस के आरोपों की धज्जियां उड़ाते हुए रक्षामंत्री ने कहा कि कैबिनेट की सुरक्षा मामलों की समिति की मंजूरी के बाद सारी प्रक्रिया पूरी कर सौदे को अंजाम दिया गया। रॉफेल डील पर हस्ताक्षर से पहले भी कीमत से लेकर तमाम पहलुओं पर पांच दौर की बैठकें हुई और एक भी प्रक्रिया का उल्लंघन नहीं हुआ। रक्षामंत्री ने अपनी इस बात के समर्थन में रॉफेल डील से जुड़े तथ्यों को रखा। उन्होंने कहा कि यूपीए के समय 12 दिसंबर 2012 को निविदा में एल-1 में रॉफेल को चुना गया और कीमत को लेकर बातचीत शुरू हुई मगर अंतिम समझौता नहीं हुआ।
2014 में एनडीए के सत्ता में आने के बाद रक्षा मंत्रालय ने प्रधानमंत्री को इस डील के तथ्यों से रुबरू कराया और अप्रैल 2015 में पीएम मोदी की फ्रांस यात्रा के दौरान फ्रांस सरकार से बातचीत हुई। इसके बाद सीसीएस ने रॉफेल खरीद को मंजूरी दी और फिर भारत और फ्रांस के रक्षा मंत्रियों की मौजूदगी में भारतीय वायुसेना के उप प्रमुख और डीजीए फ्रांस ने सितंबर 2016 में समझौते पर हस्ताक्षर किए। साफ है कि खरीद को दो देशों के बीच समझौते के जरिए अंजाम दिया गया और कांग्रेस का आरोप गैर जिम्मेदाराना है।
यूपीए शासन में तय कीमत के मुकाबले एनडीए की महंगे दामों पर रॉफेल खरीद के आरोपों को भी रक्षामंत्री ने बेबुनियाद करार दिया। उनके मुताबिक मौजूदा डील यूपीए के मुकाबले कहीं बेहतर है। कांग्रेस का आरोप है कि एनडीए ने 8.7 अरब डालर यानी करीब 59 हजार करोड रुपए में 36 विमान खरीदे हैं जबकि यूपीए ने 10.2 अरब डॉलर में ही 126 विमानों की खरीद तय की थी। हालांकि हकीकत यह है कि यूपीए के समय यह केवल विमान की कीमत थी। एनडीए ने विमान के साथ इसके तमाम हथियार और मिसाइल से लेकर इसकी मेंनटेनेंस की समग्र डील की है। डील में टेक्नोलॉजी ट्रांसफर को शामिल नहीं करने पर कांग्रेस के सवाल को खारिज करते हुए रक्षामंत्री ने कहा कि 126 विमानों की खरीद पर तो टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की बात समझ में आती है मगर 36 विमान की आपात खरीद के लिए तकनीकी ट्रांसफर का औचित्य नहीं बनता।
कांग्रेस और राहुल के सरकारी कंपनी हिन्दुस्तान एरोनाटिक्स लिमिटेड की जगह रिलायंस डिफेंस को राफेल सौदे में फायदा पहुंचाने के आरोपों को भी रक्षामंत्री ने बेबुनियाद करार दिया। उनका कहना था कि प्रधानमंत्री के डेलीगेशन में अधिकारियों के साथ बिजनेस जगत के तमाम लोग होते हैं और कौन इसमें है यह मायने नहीं रखता। अनिल अंबानी की रिलायंस डिफेंस कंपनी को लेकर उठाए गए सवाल पर उन्होंने कहा कि अभी तो आफसेट कांट्रेक्ट पर हस्ताक्षर नहीं हुए हैं। मगर जब दो निजी कंपनी औद्योगिक नीति एवं संवर्द्धन विभाग (डीआइपीपी) के नियम और प्रक्रिया के तहत संयुक्त उद्यम स्थापित करते हैं तो इसमें रक्षा मंत्रालय की मंजूरी की जरूरत नहीं होती। इसे सरकार के साथ जोड़ना दुर्भाग्यपूर्ण है और यह पूरी तरह राजनीति से प्रेरित है।
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