इलाहाबाद 24 नवंबर ! प्रख्यात न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर गुलाब सोनी ने आज पत्रकारों से वार्ता करते हुए बताया कि बढ़ाते तनाव के चलते आज बच्चों और युवाओं में हिस्टीरिया का खतरा अत्यधिक बढ़ता चला जा रहा है जो जानलेवा भी साबित हो सकता है !
उन्होंने कहा कि हमारी दिनचर्या एवं बढ़ती महत्वाकांक्षा का यह नतीजा है कि हम बच्चों पर लगातार पढ़ाई व अन्य चीजों को लेकर अनुशासन करते हैं और उन पर लगातार दबाव बनाते हैं , स्कूल में क्या माहौल है बच्चे को विषय समझ में आ रहा है या नहीं उसे बहुत सारी समस्याएं हो सकती हैं जो हम नजरअंदाज करते हैं और इस चलते बच्चा तनाव में आ जाता है युवाओं के करियर को लेकर तो मां बाप और ज्यादा सावधान और सतर्क होते हैं जिसके चलते उस पर इतना अनुशासन व दबाव बनाते हैं कि बच्चा जरूरत से ज्यादा तनाव में आ जाता है जिसके चलते वह गंभीर मानसिक रोग से पीड़ित हो जाता है जो आगे चलकर हिस्टीरिया के रूप में परिवर्तित हो जाता है , पढ़ाई लिखाई के बाद कैरियर बनाने के प्रयास में और जॉब के दौरान नौकरी के बढ़ते दबाव के चलते भी युवा तनाव में आते जा रहे हैं और यह स्ट्रेस ही उनके लिए घातक साबित हो रहा है अक्सर यह ब्रेन हेमरेज के रूप में सामने आता है जिसमें जान भी जा सकती है और हिस्टीरिया का पेशेंट तो आपको बना ही देता है , ऐसे में हमें चाहिए की हम बच्चो को विश्वास में लेकर उन्हें सहयोग करे और उनका सहारा बने !
डॉ गुलाब सोनी ने बताया कि वर्ष 1969 से 17 नवंबर को नेशनल एबिलेप्सी डे के रूप में मनाया जाता रहा है परंतु 2003 में कांग्रेस की सरकार ने नवंबर माह को ही पूरा एबिलेप्सी मंथ के रुप में मनाने का अध्यादेश पारित कर दिया था तब से लगातार नवंबर माह को एबिलेप्सी मंथ के रूप में मनाया जा रहा है !
उन्होंने बताया कि एबिलेप्सी मिर्गी रोग को कहा जाता है जिस जिस के प्रथम स्टेज को हम सीजर कहते हैं तथा दूसरी स्टेज यानी एडवांस स्टेज को हम एबिलेप्सी के रूप में बताते हैं उन्होंने कहा कि एबिलेप्सी यानी मिर्गी का रोग पूरी तरह से क्यूरेटिव है और इसके मरीज को अच्छा किया जा सकता है परंतु शर्त यह है इसकी दवा ताउम्र चलती है पहले पहले स्टेज के रोगियों का उपचार डेढ़ से 2 वर्ष के बीच किया जा सकता है और उन्हें पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है दूसरी स्टेज के रोगियों को लगातार उपचार की जरूरत होती है !
उन्होंने कहा कि यदि किसी व्यक्ति को मिर्गी का दौरा आता है तो लोग परंपरागत तरीके से उसे जूता सुनाते हैं उसके हाथ पैर को कसकर पकड़ लेते हैं अथवा मुंह में हाथ डाल देते हैं यह उसके लिए प्राण घातक हो सकता है मिर्गी के रोगी को जब भी दौरा पड़े उसे बिल्कुल भी छुए ना यह दौरा बमुश्किल 1 मिनट का होता है उसे दौरा आने दे इसके पश्चात रोगी को करवट दिला कर लिटा दें और उसके मुंह से निकलने वाले लार और झाग को मुंह से बह जाने दें अन्यथा यह लार और झाग रोगी के मुंह अंदर जाकर चेस्ट में इंफेक्शन कर सकता है !
उन्होंने बताया कि जब भी किसी को मिर्गी रोग होने की आशंका हो तो तत्काल किसी योग्य न्यूरो फिजीशियन को दिखाकर उसका संपूर्ण जांच करा लें जिससे यह स्पष्ट हो जाता है कि वह लोकल है या लांग टर्म का दौरा है इस जांच के पश्चात उसके उपचार की विधि तय होती है मिर्गी के रोगियों के लिए कुछ सावधानियां अत्यंत आवश्यक है उन्हें कम से कम 6 से 8 घंटे नींद भरपूर लेनी चाहिए इसके साथ ही जब कभी भी बुखार आए तो लापरवाही ना बरते पेरासिटामोल की गोली हमेशा घर में रखें और तत्काल दवा खिलाकर बुखार उतारे !
उन्होंने बताया कि ऐसे मरीजों को मोबाइल कैमरा लैपटॉप और कंप्यूटर से कितनी दूरी बनाकर रह सके रहना चाहिए बहुत मजबूरी में यदि उन्हें इन पर काम करना हो तो लगातार काम ना करें घंटे 2 घंटे में इस से दूरी बनाकर कुछ देर रेस्ट अवश्य करें उन्होंने बताया कि यदि मिर्गी रोगी का उपचार चल रहा है और कोई दवा लगातार चल रही है तो दवा कभी बदलना नहीं चाहिए और दवा लगातार खाना चाहिए इसमें कभी कम नहीं करना चाहिए अन्यथा लाभ की वजाए हानि होने की ज्यादा आशंका होती है !
उन्होंने बताया कि यह बीमारी अनुवांशिक भी होती है और प्रॉपर हाइजेनिक ना होने के कारण भी हो जाती है इसलिए लोगों को जहां पर निवास करते हैं साफ़-सफाई और ताजी हवा एवं रोशनी अत्यंत आवश्यक है इनके अभाव में ही मिर्गी जैसा घातक रोग हो जाता है , एक प्रश्न के जवाब में उन्होंने बताया कि यह रोग महिलाओं में युवतियों में अत्यधिक देखा गया है ! पत्रकार वार्ता में डॉक्टर गुलाब सोनी के साथ सुभाष तिवारी भी मौजूद थे !
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