नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2022 तक ‘न्यू इंडिया’ बनाने का नारा दिया है। इसी नारे को जमीन पर उतारने के लिए सरकार ने अगले पांच साल में देश के सर्वाधिक पिछड़े 115 जिलों के कायापलट का बीड़ा उठाया है। ये जिले शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण जैसे मानव विकास के पैमाने पर तो पिछड़े हैं हीं, यहां बिजली, पानी और सड़क जैसी बुनियादी सुविधाओं का भी अभाव है और इनमें से करीब चार दर्जन जिले वामपंथी अतिवादी हिंसा और आतंकवाद के शिकार हैं। यही वजह है कि सरकार ने इनका हाल बदलने के लिए हर पिछड़े जिले के लिए एक ‘डिस्टि्रक्ट एक्शन प्लान’ बनाने का निश्चय किया है।
सरकार ने देश में सर्वाधिक पिछड़े जिन 115 जिलों की जो सूची बनायी है उसमें सर्वाधिक 20 जिले झारखंड, 13 जिले बिहार, छत्तीसगढ़ के 10, उत्तर प्रदेश के आठ और पश्चिम बंगाल के पांच जिले शामिल हैं। इन्हीं जिलों के लिए अगले पांच साल के लिए ‘डिस्टि्रक्ट एक्शन प्लान’ बनेगा और इसमें सामाजिक-आर्थिक विकास के अलग-अलग पैमाने पर समयबद्ध लक्ष्य तय किए जाएंगे। खास बात यह है कि इसमें नौकरियों के सृजन का रोडमैप दिया जाएगा ताकि इन जिलों में बेरोजगारी की समस्या का मुकाबला किया जा सके। इस पूरी योजना को धरातल पर उतारने के लिए केंद्र सरकार ने केंद्रीय मंत्रालयों में तैनात अतिरिक्त और संयुक्त सचिव स्तर के 115 अधिकारियों को प्रत्येक पिछड़े जिले का ‘प्रभारी अधिकारी’ बनाया है। ये अधिकारी राज्यों के संबंधित अधिकारियों के साथ संपर्क में रहेंगे और ‘डिस्टि्रक्ट एक्शन प्लान’ को तैयार कर, अमल में लाने में अहम भूमिका निभाएंगे।
कैबिनेट सचिव पी के सिन्हा ने शुक्रवार को इन प्रभारी अधिकारियों की पहली बैठक बुलायी। उन्होंने प्रभारी अधिकारियों को तत्काल राज्यों के अधिकारियों के साथ इन जिलों की स्थिति बेहतर बनाने को टीम बनाने को कहा। कैबिनेट सचिव ने कहा कि इस काम के लिए धन की कमी नहीं है। पहले से ही इस काम के लिए काफी धन उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि इन जिलों के विकास के लिए जिला खनिज फंड और फ्लैक्सी फंड की राशि का इस्तेमाल किया जा सकता है।
नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने भी कहा कि देश के मानव विकास सूचकांक में व्यापक परिवर्तन लाने के लिए इन जिलों की स्थिति में सुधार लाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि इन जिलों में विकास कार्याें की निगरानी सबसे अहम होगी। इस संबंध में उन्होंने आंध्र प्रदेश का अनुसरण करने की सलाह दी जिसके साथ निगरानी के लिए नीति आयोग ने हाल में एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं। गृह सचिव राजीव गाबा ने भी कहा कि अगर इन जिलों की स्थिति में बदलाव आ गया तो इससे देश के सुरक्षा माहौल पर भी काफी फर्क पड़ेगा क्योंकि सर्वाधिक पिछड़े जिलों में करीब चार दर्जन जिले वामपंथी अतिवादी हिंसा और आतंकवाद की समस्या से प्रभावित हैं।
ये हैं देश के सर्वाधिक पिछड़े जिले
बिहार (13) : खगडि़या, बेगूसराय, कटिहार, पूर्णिया, अररिया, सीतामढ़ी, शेखपुरा, मुजफ्फरपुर, नवादा, औरंगाबाद, गया, बांका, जमुई,
उत्तर प्रदेश (8): चंदौली, सोनभद्र, फतेहपुर, चित्रकूट, बलरामपुर, बहराइच, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर,
उत्तराखंड (2): हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर,
हरियाणा (1): मेवात,
झारखंड (20): साहिबगंज, पाकुड़, गौडा, पश्चिमी सिंहभूमि, पूर्वी सिहंभूमि, चतरा, पलामू, बोकारो, गढ़वा, मल्कानगिरी, दुमका, रामगढ़, गिरिडीह, हजारीबाग, लातेहार, रांची, लोहरदग्गा, सिमडेगा, खूंटी, गुमला,
महाराष्ट्र (3): नंदूरबार, जलगांव, नांदेड,
पश्चिम बंगाल (5): बीरभूमि, मुर्शिदाबाद, माल्दा, नदिया, दक्षिण दिनाजपुर,
मध्य प्रदेश (8): दामोह, विदिशा, खंडवा, राजगढ़, बरबानी, सिंगरौली, गुना, छतरपुर,
छत्तीसगढ़ (10): महासमंद, कोरबा, बस्तर, सुकमा, राजनंदगांव, कांकेर, दंतेवाड़ा, कोंडागांव, नारायणपुर, बीजापुर
असम (7): धुबरी, गोलपारा, बारपेटा, दरांग, बक्सा, उदलगुरी, हैलाकांडी,
गुजरात (2): नर्मदा, मोरबी,
तमिलनाडु (2): विरुद्धनगर, रामनाथपुरम,
उड़ीसा (8): कालाहांडी, ढेंकानाल, कंधामाल, रायगड़ा, कोरापुट, बलंगीर, गजपति, मल्कानगिरी,
आंध्र प्रदेश (4): विजिनगाराम, वाएसआर कडप्पा, विशाखापत्तनम,
तेलंगाना (3): खम्मम, वारंगल, आदिलाबाद,
राजस्थान (5): धौलपुर, करौली, जैसलमेर, सिरोही, बाड़मेर,
पंजाब (2): फिरोजपुर, मोगा,
त्रिपुरा (1): धलाई,
केरल (1): वेयानाद,
मेघालय (1): रिभाई,
कर्नाटक (2): गडग, कालबुर्गी,
जम्मू कश्मीर (2): कुपवाड़ा, बारामूला,
अरुणाचल प्रदेश (1): नामसाई,
सिक्किम (1): ईस्ट सिक्किम,
मणिपुर (1): चंदेल,
मिजोरम (1): मामित
हिमाचल प्रदेश (1): चम्बा
नागालैंड (1): किपिरे
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