राष्ट्रीय शिल्प मेला 2017 का एनसीजेडसीसी में भव्य शुभारम्भ
इलाहाबाद 2 दिसम्बर। राष्ट्रीय शिल्प मेले का भव्य आयोजन उत्तर मध्य सांस्कृतिक केन्द्र के प्रांगण में 11 दिसम्बर तक किया गया है जिसका औपाचरिक उद्घाटन आज सांय 4 बजे इलाहाबाद के मण्डलायुक्त डॉ. आशीष कुमार गोयल ने गणेश पूजन के साथ किया।
विभिन्न प्रदेशों के नृत्य एवं संगीत की प्रस्तुतियों के बीच यह उद्घाटन समारोह राष्ट्रीय एकता एवं अखण्डता का अद्भभूत नमूना बन गया था। राजस्थान, मध्य प्रदेश, कश्मीर, पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दक्षिण भारत के लोक नतृकों एवं वाद्यों समूह एक साथ पंक्तिबद्ध होकर अपनी प्रस्तुतियां देते हुए मण्डलायुक्त के साथ चल रहे थे।
उत्तर मध्य सांस्कृतिक केन्द्र के प्रांगण में एक साथ पूरा सांस्कृतिक भारत मूर्तिमान नजर आ रहा था। मेले में देश के हर कोने से आये शिल्पकारों ने अपनी कारीगरी से भरे स्टाल सजाये रखे थे जिसमें हाथ से बने लकड़ी, पीतल की मूर्तियां, लाख के गहने, बंनारस की सिल्क, उड़िसा के मधुबनी आर्ट, राजस्थान की जरी और जरदौरी का काम, उत्तर प्रदेश का टेराकोटा जहां आकर्षण का केन्द्र बन रहे थे वहीं हर प्रदेश के स्वादिष्ट व्यंजन पूरे भारत की इन्द्रधनुषी संस्कृति एवं समरश सभ्यता का परिचय दे रहे थे।
मण्डलायुक्त ने मेले के प्रत्येक स्टाल पर जाकर हस्तशिल्पियों से उनके कारीगरी के गुर बारीकी से जाने तथा उनकी प्रस्तुतीकरण की तारीफ करते हुए उनका हौसला भी बढ़ाया । मेले का भ्रमण करते हुए मण्डलायुक्त ने उत्तर मध्य सांस्कृतिक केन्द्र के निदेशक नरेन्द्र सिहं को यह सुझाव दिया कि मेला परिसर को और अधिक आकर्षक एवं सुरम्य बनाये जाने के लिए इसमें हरियाली बढ़ायी जाय तथा प्रागंण को हरे भरे लॉन के रूप में विकसित किया जाय।
मेले की भव्यता और विविधता की सराहना करते हुए मण्डलायुक्त ने कहा कि इस प्रकार के आयोजन भारतवासियों को एक सांस्कृतिक सूत्र में पिरोये रखने में सहायक होते है तथा भारत की इन्द्रधनुषी संस्कृति का परिचय समय-समय पर देशवासियों और आने वाले विदेशी पर्यटकों को भी देते रहते है। इससे हमारी संस्कृति में विभिन्न रंगों का परिचय मिलता है और हम जान पाते है कि हम कितने समृद्ध और सुसंस्कृत देश के निवासी है।
एकरूपता ही हमारी भारतीय संस्कृति की वह पहचान है जो पूरी दुनिया से हमें अलग और सर्वक्षेष्ठ बनाती है। हमारे इन्ही हस्तशिल्पियों की वजह से हमारे देश दुनिया का सबसे समृद्ध देश रहा है और सोने की चिड़िया कहा जाता रहा है। मण्डलायुक्त ने कहा कि भारतीय हस्तशिल्पि को वर्तमान परिवेश आधुनिक जरूरतो के अनुरूप और निखारने की जरूरत है तथा इसे अन्तर्राष्ट्रीय बाजार तक ले जाकर भारत की सांस्कृतिक समृद्धि का अनुभव पूरी दुनिया को करवाने की जरूरत है। इस तरह के राष्ट्रीय शिल्प मेला इस प्रयास के रूप में एक सार्थक कड़ी साबित हो सकता है।
आज की सांस्कृतिक संध्या का उद्धघाटन केंद्र के प्रभारी निदेशक नरेंद्र सिंह ने राई नृत्य के वरिष्ठ कलाकार एवं सन 1987 से केंद्र से जुड़े राम सहाय पांडेय के कर कमलों से दीप प्रज्ज्वलन कर हुआ। इस अवसर पर केंद्र के प्रभारी निदेशक नरेंद्र सिंह ने अपने अभिभाषण में सभी आये हुए कलाकारों का एवं दर्शकों का स्वागत किया तथा सभी को बताया की इसबार के शिल्प मेले में दुकानों की संख्या बढ़ा कर के 150 कर दी गयी हैं ज्यादा से ज्यादा कलाकारों को मौका दिया जा सके।
इसी क्रम में उन्होंने बताया की केंद्र ने इसबार कलाकारों और दर्शकों के सुविधा ATM मशीन एवं टिकट बिक्री के लिए स्वाइप मशीन की भी व्यवस्था करवाई गयी है। कार्यक्रम के व्यापक प्रचार प्रसार के लिए पूरे सांस्कृतिक कार्यक्रम का लाइव वेबकास्ट किया जा रहा है जिसका प्रसारण हनुमान मंदिर, सिविल लाइन्स और चौक घंटाघर स्थित, शहर की प्रमुख LED स्क्रीन्स पर भी किया जा रहा है। इसके उपरांत केंद्र की त्रिमासिक पत्रिका “सांस्कृतिक दर्पण” का विमोचन किया।
इसी क्रम में फिर सांस्कृतिक कार्यक्रम का आरम्भ हो गया। प्रथम प्रस्तुति वाराणसी से आये राम जनम योगी द्वारा शंख से हुआ। उन्होंने बिना सुर टूटे करीब 20 मिनट तक शंख नाद कर किया। इसके उपरांत इलाहाबाद के प्राणेश ने अपने भजन गायन से अब को मंत्र मुग्ध कर दिया। सभी के आकर्षण का केंद्र दिल्ली से आई सुश्री माया के निगम का कत्थक नृत्य रहा।
इसी क्रम में मध्य प्रदेश, सागर से आये नदीम राइन ने अपने दल के साथ बधाई नृत्य, भदोही से आये वशिष्ठ बंधू ने सुगम संगीत, मिर्ज़ापुर से आयी सुश्री सरोज सरगम ने बिरहा गायन, कश्मीर से आयी सुश्री रुबीना एवं उनके दल ने कश्मीर का प्रसिद्ध रूफ नृत्य एवं मध्य प्रदेश से आयी श्रीमती साधना उपाध्याय ने गणगौर नृत्य प्रस्तुत किया। आज के कार्यक्रम का मंच सञ्चालन सुप्रसिद्ध उद्धघोषक संजय पुरुषार्थी ने किया ।
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