नई दिल्ली । राजमार्ग मंत्रालय ने ‘भारतमाला’ के मद्देनजर इस बार बजट में पिछले साल के मुकाबले 10-15 हजार करोड़ रुपये ज्यादा राशि आवंटित करने का वित्त मंत्रालय से अनुरोध किया है। इसमें से अधिकांश राशि एनएचएआइ के खाते में जाएगी। पिछले बजट में सड़क मंत्रालय को लगभग 64 हजार करोड़ रुपये का आवंटन प्राप्त हुआ था।
इसमें से एनएचएआइ को 15 हजार करोड़ रुपये से कुछ अधिक राशि दी गई थी। परंतु इस बार भारतमाला की तैयारियों के कारण मंत्रालय ने वित्त मंत्रालय से 75-80 हजार करोड़ रुपये से अधिक की राशि आवंटित करने का अनुरोध किया है। इस बढ़ी हुई मांग का कारण महत्वाकांक्षी ‘भारतमाला’ प्रोजेक्ट है, जिसके पहले चरण को सरकार ने पिछले दिनों ही मंजूरी दी है।
भारतमाला के पहले चरण के तहत पांच सालों में 5.35 लाख करोड़ रुपये की लागत से 24,800 किलोमीटर राजमार्गो का निर्माण किया जाएगा। इसमें 5000 किमी राष्ट्रीय गलियारे, 9000 किमी आर्थिक गलियारे, 6000 किमी फीडर गलियारे, 2000 किमी सीमावर्ती सड़कें, 2000 किमी तटीय सड़कें तथा 800 किमी नए एक्सप्रेसवे शामिल हैं। परियोजना की शुरुआत पिछले साल हो चुकी है। परंतु इस साल इसके वास्तविक गति पकड़ने की संभावना है।
चूंकि परियोजना की मुख्य कमान एनएचएआइ के कंधों पर है। लिहाजा उसने लगभग 18 हजार किलोमीटर सड़कों के डीपीआर तैयार करने के अनुबंध दे दिए हैं। बाकी 6800 किलोमीटर सड़कों के डीपीआर के अनुबंध भी शीघ्र दिए जाने की संभावना है। कुल मिलाकर एनएचएआइ का लक्ष्य इस साल दिसंबर तक भारतमाला के पहले चरण की सभी सड़कों के निर्माण के ठेके देने का है।
इसीलिए एनएचएआइ ने बजट के तहत अपने लिए 30 हजार करोड़ रुपये की मांग रखी है। इसमें से 20 हजार करोड़ रुपये की राशि केंद्रीय सड़क निधि से जबकि दस हजार करोड़ रुपये की रकम टोल संग्रह से देने का अनुरोध किया गया है। चालू वित्तीय वर्ष 2017-18 के बजट में एनएचएआइ को वित्त मंत्रालय से 15,430 करोड़ रुपये का आवंटन प्राप्त हुआ था। यह अलग बात है कि खर्च बढ़ने से इस बार इसमें कुछ इजाफा हो सकता है।
इस बीच सड़क निर्माण के महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को देखते हुए एनएचएआइ ने आगामी वित्तीय वर्ष के दौरान 60-65 हजार करोड़ रुपये से अधिक की राशि बाजार से बांडों के माध्यम से जुटाने की योजना बनाई है। चालू वित्त वर्ष के दौरान उसे बांडों से 50 हजार करोड़ रुपये से अधिक की रकम हासिल होने की उम्मीद है।
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