जयपुर । राजस्थान की दो लोकसभा (अलवर एवं अजमेर) और एक विधानसभा क्षेत्र (मांडलगढ़ ) में हुए उप चुनाव में कांग्रेस ने तीनों सीटों पर कब्जा करते हुए भाजपा को कड़ी शिकस्त दी है। अलवर में कांग्रेस प्रत्याशी कर्ण सिंह यादव ने भाजपा उम्मीदवार जसवंत यादव को डेढ़ लाख से भी अधिक मतों से हराया। जसवंत यादव वसुंधरा राजे सरकार में कैबिनेट मंत्री है। इसी तरह अजमेर लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस के रघु शर्मा ने भाजपा के रामस्वरूप को चुनाव हराया। मांडलगढ़ विधानसभा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी विवेक धाकड़ ने भाजपा उम्मीदवार शक्ति सिंह को हराया।
पूर्व केन्द्रीय मंत्री सांवर लाल जाट के निधन के कारण अजमेर, सांसद महंत चांदनाथ की मृत्यू के कारण अलवर एवं विधायक कीर्ति कुमारी के निधन के कारण मांडलगढ़ में 29 जनवरी को उप चुनाव कराए गए थे। जिन तीन सीटों पर कांग्रेस ने कब्जा किया है, अब तक ये तीनों ही सीटें भाजपा के पास थी। करीब 9 माह बाद होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव को देखते हुए इन तीनों उप चुनावों को सेमीफाइनल माना जा रहा है। दोनों लोकसभा क्षेत्रों के तहत आने वाली 16 विधानसभा सीटों और एक मांडलगढ़ इस तरह से कुल मिलाकर 17 सीटों पर कांग्रेस की जीत ने भाजपा नेतृत्व की चिंता बढ़ा दी है।
करीब सवा चार वर्ष हुए हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 200 सदस्यीय विधानसभा में 163 सीटें जीती थी, इसके बाद वहीं कांग्रेस को मात्र 21 सीटें मिली और शेष अन्य के खाते में गई थी। इसके बाद पिछले चार वर्षों में चार विधानसभा सीटों पर हुए उप चुनाव में भाजपा को मात्र एक और कांग्रेस को तीन सीटें मिली।
इसी तरह पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने प्रदेश की सभी 25 संसदीय सीटों पर कब्जा कर एक नया रिकॉर्ड बनाया था, लेकिन अलवर एवं अजमेर लोकसभा सीटों पर आए चुनाव परिणाम के बाद भाजपा की 23 सीटें ही लोकसभा में रह गई। एक तरफ जहां लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ कराए जाने को लेकर चर्चाएं चल रही है, वहीं दूसरी तरफ आए चुनाव परिणाम ने भाजपा नेतृत्व के समक्ष कड़ी चुनौती खड़ी कर दी है ।
तीनों सीटों पर हुए उप चुनाव को विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल मानकर चुनाव लड़ रही कांग्रेस और भाजपा दोनों की आंतरिक राजनीति भी परिणाम के बाद काफी कुछ बदल सकती है। भाजपा में चुनाव अभियान का जिम्मा मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने संभाल रखा था। वे दोनों संसदीय क्षेत्रों में एक-एक सप्ताह तक रही, रोड शो करने के साथ ही जातिगत आधार पर प्रमुख लोगों के साथ बैठक की।
मंत्रियों और विधायकों सहित 200 बाहरी नेताओं को इन तीनों चुनावी क्षेत्रों में तैनात किया, लेकिन पार्टी को तीनों ही सीटों पर सफलता नहीं मिली। इसके बाद अब मुख्यमंत्री विरोधी नेता भाजपा में सक्रिय होने की उम्मीद बढ़ गई है। चुनाव परिणाम आते ही पिछले तीन सालों से मुख्यमंत्री के खिलाफ मोर्चा खोलकर बैठे पार्टी के वरिष्ठ विधायक घनश्याम तिवाड़ी ने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से इस्तीफा मांगा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की जनता सरकार के कामकाज से संतुष्ट नहीं है, भ्रष्टाचार और पार्टी कार्यकर्ताओं की बेरुखी के चलते ये परिणाम सामने आए हैं।
तिवाड़ी ने चुनाव में हार को केन्द्रीय नेतृत्व द्वारा राजस्थान की लूट को संरक्षण दिए जाने का परिणाम बताया।इधर, चुनाव परिणाम के बाद कांग्रेस में पीसीसी चीफ सचिन पायलट मजबूत होकर उभरे हैं। मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवारी को लेकर कांग्रेस में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, सचिन पायलट और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव सीपी जोशी के बीच चल रही रस्साकशी के बीच तीनो सीटों पर भारी अंतर से चुनाव जीतना पायलट के लिए राजनीतिक तौर पर फायदे का सौदा माना जा रहा है|
पायलट ने पूरे चुनाव अभियान के दौरान अपने विश्वस्तों को जिम्मेदारी सौंपी और खुद सक्रिय रहे। अजमेर संसदीय सीट से पायलट स्वयं सांसद रह चुके है और इस सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी रघु शर्मा का बड़े अंतर से चुनाव जीतना पायलट के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। अलवर से कर्ण सिंह यादव के चुनाव जीतने से पूर्व रक्षा राज्यमंत्री भंवर जितेन्द्र सिंह मजबूत हुए हैं। सिंह की सिफारिश पर ही यादव को टिकट मिला था। मांडलगढ़ में कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव सीपी जोशी के खास समर्थक विवेक धाकड़ चुनाव जीते हैं।
कांग्रेस ने सीएम से मांगा इस्तीफा, कहा-अब हम सत्ता में आने वाले हैं
चुनाव परिणाम आने के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट ने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि राज्य की जनता ने भाजपा सरकार को पूरी तरह से नकार दिया। उन्होंने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से इस्तीफा मांगते हुए कहा कि जनता ने विकास के जुमलों को पूरी तरह से नकार दिया और कांग्रेस में विश्वास जताया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने चुनाव जीतने के लिए पूरी ताकत लगाई,धन-बल का उपयोग किया,लेकिन जनता ने नकार दिया। वहीं, कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अशोक गहलोत ने कहा कि जल्द ही राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनने वाली है। लोगों ने भाजपा को हटाकर कांग्रेस को सत्ता में लाने का संकल्प कर लिया ।
भाजपा ने स्वीकारी हार, कहा-आत्मचिंतन करेंगे
चुनाव परिणाम आने के बाद भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी ने उप चुनाव में हार को स्वीकारते हुए आत्मचिंतन करने की बात कही है। परनामी ने पत्रकार वार्ता में कहा कि सरकार ने विकास कार्य कराए, लेकिन फिर भी हम हारे, इसको लेकर आत्मचिंतन किया जाएगा।
कांग्रेस की जीत पर करणी सेना ने आतिशबाजी की
राजस्थान की दो लोकसभा सीटों (अलवर एवं अजमेर) और एक विधानसभा सीट ( मांडगलगढ़ ) पर हुए उप चुनाव में कांग्रेस की जीत और भाजपा की हार पर राजपूत करणी सेना एवं मेव समाज ने खुशी जताते हुए आतिशबाजी की। राजपूत करणी सेना के अध्यक्ष सुखदेव सिंह गोगामेड़ी के नेतृत्व में जयपुर में आतिशबाजी की गई। करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने प्रदेश के अन्य जिलों में भी आतिशबाजी की। गोगामेड़ी ने एक बयान में कहा कि जनता ने “पोपाबाई” का घमंड तोड़ दिया। उन्होंने कहा कि पद्मावत और आनंदपाल सिंह एनकाउंटर मामले में भाजपा सरकार ने राजपूत समाज को दरकिनार कर दिया तो अब समाज ने भाजपा उम्मीदवारों को दरकिनार कर दिया ।
उन्होंने भाजपा का विरोध आगे भी जारी रखने की बात कही। इधर, मेव समाज के संरक्षक शेर मोहम्मद ने अलवर में मीडिया से बातचीत में कहा कि,अलवर में गायों के नाम पर मुस्लिमों को लगातार टारगेट किया गया,इसके कारण समाज ने एकतरफा कांग्रेस को वोट दिया है। दो मुस्लिम प्रत्याशियों के चुनाव लड़ने के बावजूद समाज ने कांग्रेस को वोट देकर सबक सिखाया है। उल्लेखनीय है कि चुनाव अभियान के दौरान भाजपा प्रत्याशी जसवंत यादव ने बयान देकर कहा था कि हिंदू हो तो मुझे वोट देना और मुसलमान हो तो कांग्रेस को वोट देना को लेकर भी मुस्लिम समाज ने नाराजगी जताई ।
पद्मावत और गाय के साथ ही जाति भी तीनो उप चुनाव में मुख्य मुद्दा रहा। टिकट वितरण से लेकर चुनाव अभियान जातिगत आधार पर चला। अलवर संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस और भाजपा ने यादव बाहुल्य इस क्षेत्र में इसी समाज के उम्मीदवारों को टिकट दिया। अजमेर में कांग्रेस ने रघु शर्मा को टिकट दिया, वहीं भाजपा ने रामस्वरूप लाम्बा को उम्मीदवार बनाया। इस सीट पर जाट और रावत समाज लांबा के पक्ष लामबंद हो गया,वहीं ब्राहम्ण, राजपूत, मुस्लिम और अजा, जजा वर्ग शर्मा के पक्ष में हो गया ।
मांडलगढ़ विधानसभा क्षेत्र में भी भाजपा के शक्ति सिंह और कांग्रेस में विवेक धाकड़ को भी जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखकर बनाया। चुनाव अभियान के दौरान मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने जातिगत आधार पर लोगों की बैठकें ली, अपनी सरकार के मंत्रियों और विधायकों को भी जातिय समीकरण ध्यान में रखकर चुनाव अभियान की जिम्मेदारी सौंपी। कांग्रेस ने भी जातिगत कार्ड खेलने का पूरा प्रयास किया ।
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