नई दिल्ली । कभी पूर्वांचल समेत बिहार के कुछ इलाकों में दहशत का पर्याय बन चुके मुन्ना बजरंगी की जेल में हत्या के बाद एक बार फिर से जेल में अपराधियों को ढेर किए जाने की याद ताजा हो गई है। आपको बता दें कि जिस तरह से बजरंगी की हत्या को अंजाम दिया गया है ठीक उसी तरह से उसके गैंग के शार्प शूटर अनुराग त्रिपाठी की भी हत्या जेल में की गई थी। वर्ष 2005 में उसकी हत्या वाराणसी जेल में गोली मारकर की गई थी। इस हत्या का आरोप एक अन्य अपराधी संतोष गुप्ता उर्फ किट्टू पर लगा था। बाद में किट्टू भी पुलिस इनकाउंटर में मारा गया था
नरेश और सुंदर भाटी की दोस्ती
ग्रेटर नोएडा के गांव रिठोरी का रहने वाला नरेश भाटी पढ़े-लिखे परिवार से था। उसके चाचा एसडीएम थे, तो ताऊ विदेश मंत्रालय में सचिव थे। जायदाद के विवाद को लेकर उसके ताऊ और दादा की हत्या हो गई। परिवार वालों की मौत का बदला लेने के लिए नरेश अपराध की दुनिया में उतर गया। उसका संपर्क उस वक्त के नामी बदमाश सतबीर गुर्जर से हो गया। इसी गिरोह का सदस्य ग्रेटर नोएडा, घंघोला निवासी सुंदर भाटी भी था। इन दोनों में बाद में दोस्ती हो गई थी। दोनों ने मिलकर गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, फरीदाबाद, दिल्ली सहित पश्चिमी यूपी में हत्या, लूट और रंगदारी के काम को अंजाम दिया।
दुश्मनी में बदली दोस्ती
सतबीर गुर्जर के गिरोह में रहते हुए दोनों की दोस्ती ज्यादा नहीं चली। दरअसल सुंदर भाटी लोहे के स्क्रेप और ट्रांसपोर्ट के काम पर कब्जे के लिए सिकंदराबाद की ट्रक यूनियन पर कब्जा करना चाहता था। यहां पर दोनों के हितों में टकराव का दौर शुरू हुआ। इसके अलावा दोनों ही जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव भी लड़ना चाहते थे। यहां से दोनों के बीच गैंगवार शुरू हुआ और इसी गैंगवार में ट्रक यूनियन के दो अध्यक्षों की हत्या भी हो गई। हालांकि विरोध के बावजूद नरेश भाटी जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव जीत गया, जिसके बाद सुंदर भाटी के लिए उसको खत्म करना एकमात्र मकसद बन गया था।
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