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सिर्फ 40 करोड़ रुपए के लिए गिरवी रखना पड़ा था हमे अपना 47 टन सोना

 

तत्कालीन RBI गवर्नर रहे Y.V रेड्डी की पुस्तक ADVISE AND DECENT से साभार

नई दिल्ली ।  नब्बे के शुरुआती दशक में भारतीय अर्थव्यवस्था को वो दिन भी देखना पड़ा जब भारत जैसे देश को भी अपना सोना विश्व बैंक में गिरवी रखना पड़ा था …..

युवा तुर्क कहेजाने वाले चन्द्रशेखर तब नए नए प्रधान मंत्री बने थे….

पुरे देश में एक तरह का निराशा भरा माहौल था ..

कोई रोज़गार नहीं कोई नया उद्योग धन्धा नहीं …

.एक बिजनेस डालने जाओ तो पचास जगह से noc लेकर आना पड़ता था

….लाइसेंस परमिट के उस दौर में चारो तरफ बेरोज़गारी और हताशा का अलाम था…

अस्सी से नब्बे के दशक तक देश में कांग्रेस ने राज किया था …..
.उसी दौरान बोफोर्स तोपों में दलाली का मामला सामने आया …..
गाँधी परिवार की अथाह लूट ने देश की अर्थ व्यवस्था को रसातल में पंहुचा दिया

..उन दिनों भारत का विदेशी मुद्रा भंडार इतना कम हो गया था कि रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने अपना सोना विश्व बैंको में गिरवी रखने का फैसला किया …

हालात ये हो गए थे देश के पास तब केवल 15 दिनों का आयात करने लायक ही पैसा था
..स्थितीकितनी भयानक थी इसका अंदाजा आप इस बात से लगा लीजिये की भारत के पास तब केवल 1.1 अरब डालर का ही विदेशी मुद्रा भंडार बचा हुआ था ….

तब तत्कालीन प्रधान मंत्री चन्द्रशेखर के आदेश से भारत ने 47 टन सोना बैंक ऑफ़ इंग्लैंड में गिरवी रखा था …..
और नालायक भ्रस्ट कांग्रेसियों की करतूत का ठीकरा ईमानदार चंद्र शेखर पर फूटा था

ये भी अपने तरह की एक दिलचस्प और भारतीय जनमानस को शर्म सार करने वाली घटना थी ……

हुआ यह कि RBI को बैंक ऑफ़ इंग्लैंड में 47 टन सोना पहुचना था
.. ….ये वो दौर था जब मोबाइल तो होते नहीं थे और लैंड लाइन भी बहुत सिमित मात्रा में हुआ करते थे

….नयी दिल्ली स्थित RBI की बिल्डिंग से 47 टन सोना नयी दिल्ली एयर पोर्ट पर एक वैन द्वारा पहुंचाया जाना था वहां से ये सोना इंग्लैंड जाने वाले जहाज पर लादा जाना था …

लेकिन नब्बे के दशक में भारतीय प्रशासनिक व्यवस्था कितनी लचर स्थिति में थी इसका अंदाजा आप
इस बात से लगा लीजिये की 47 टन सोना लेकर जो वैन महज़ 6 सुरक्षा गार्ड्स के साथ एयर पोर्ट पर भेजी गयी थी उसके चारों टायर आधे रास्ते में ही पंचर हो गए ……

टायर पंचर होते ही उन 6 सुरक्षा गार्ड्स ने उस 47 टन सोने से भरी वैन को घेर लिया …..
बड़ी मशक्कत के बाद ये 47 टन सोना इंग्लैंड पहुचाया गया और तब जाकर ब्रिटेन ने भारत को 40.05 करोड़ रुपये कर्ज़ दिया ।

भारतीय अर्थ व्यवस्था से जुडी इस पुरानी और मन को दुखी करने वाले घटना का
उदाहरण मैंने आज इस लिए किया ताकि लोगों को पता चले कि आज ये जो कांग्रेस के बेशर्म नेता मोदी के ऊपर देश की अर्थ व्यवस्था को चौपट करने का इल्जाम लगाते हैं,

उन्हें पता चले की उनके महान गाँधी परिवार की अय्याशी की वजह से ही देश को अपना सोना महज़ 40 करोड़ का कर्ज पाने के लिए गिरवी रखना पड़ा था

….किसी देश के लिए इससे ज्यादा अपमान और शर्म की बात क्या हो सकती है ….

मुझे बेहद हैरानी और गुस्सा आता है जब देश का सोना महज़ 40 करोड़ रुपये के लिए गिरवी रखने वाले लोग कहते हैं कि—-मोदी ने भारत की अर्थ व्यवस्था को बर्बाद कर दिया

 

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