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गोल्डन टाइम में बचाई जा सकती है दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति की जान : डॉ पियूष मिश्रा

दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति यदि सांस नहीं ले पा रहा है तो उसे सी पी आर दे कर जान बचाई जा सकती है : डॉ सचिन यादव

प्रयागराज : इंडियन आर्थोपेडिक एसोसिएशन के प्रयागराज शाखा के अध्यक्ष डॉ पियूष मिश्रा ने आज पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि सड़क दुर्घटना के दौरान  शुरुआती 3 से 5 मिनट गोल्डन टाइम कहा जाता है इस बीच यदि दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति को समय पर मदद मिल जाये तो उसकी जान बचाई जा सकती है ।
उन्होंने कहा कि 4 अगस्त को हम लोग बोन एंड ज्वाइंट डे मनाते हैं, 2012 से इंडियन आर्थोपेडिक एसोसिएशन की ओर से राष्ट्रीय अस्थि और संयुक्त दिवस हर वर्ष 4 अगस्त को मनाया जाता है जिसका मूल उद्देश्य आम जनमानस को जागरूक करना और किसी भी दुर्घटना के समय लोगों की जान बचाने के लिए प्रेरित करना है।
उन्होंने कहा कि विश्व में सबसे ज्यादा दुर्घटना भारतवर्ष में होती हैं और सबसे ज्यादा मौत भी यही होती है इसका मूल कारण लोगों की अज्ञानता और कानूनी पचड़ों में न फंसने की मानसिकता है ।
प्रयागराज आर्थोपेडिक एसोसिएशन के सचिव सचिन यादव ने कहा कि हमारे देश में दुर्घटना के तुरंत बाद उचित प्राथमिक चिकित्सा बेसिक लाइफ सपोर्ट के बीच की यह कड़ी गायब है भारतीय हड्डी रोग संघ द्वारा 1 अगस्त 2021 से 7 अगस्त 2021 तक मनाए जाने वाले हड्डी और संयुक्त सप्ताह के दौरान 100000 छात्रों पुलिस व्यक्तिगत आम आदमी द मिसिंग लिंक को प्रशिक्षण प्रदान करने का निर्णय लिया गया है ताकि वह जीवन रक्षक बन सके यह प्रशिक्षण पूरे भारत में भारतीय हड्डी रोग संघ के सदस्यों द्वारा प्रदान किया जाएगा साथ ही उन्हें हड्डियों को स्वस्थ और मजबूत रखने के तरीकों के बारे में भी बताया जाएगा ।
डॉक्टर सचिन यादव ने कहा कि एक्सीडेंट के समय यदि हम समय पर पहुंच जाएं तो 3 से 5 मिनट का गोल्डन टाइम में व्यक्ति की जान बचाई जा सकती है ।
उन्होंने कहा कि दुर्घटना के तत्काल बाद सबसे पहले दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति को सेफ प्लेस सुरक्षित जगह पर पहुंचाया जाता है उसके बाद हमें चाहिए कि हम उसकी सास एवं पल्स को चेक करें वह सही चल रही है या नहीं दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति को तत्काल करवट दिलाएं और उसके कंधे को पकड़कर उससे पूछे कि वह बोल सकता है या नहीं कभी-कभी व्यक्ति बोलने की पोजीशन में नहीं होता और वह सांस भी नहीं ले पाता है ऐसे में हमें तत्काल उसे सीपीआर देना पड़ता है जिस का तरीका बहुत ही सरल है हम दोनों हाथ की उंगलियों को पकड़कर हथेली उसके सीने के बीचो बीच धरकर कसकर दबाएं यह दबाव बहुत ज्यादा ताकत लगाकर करना पड़ता है चाहे व्यक्ति की पसलियां ही टूट जाएं इससे व्यक्ति मरेगा नहीं परंतु यदि दबाव तगड़ा नहीं होगा तो सांस वापस नहीं आएगी हमें 60 सेकंड में कम से कम 100 बार ऐसा ही दबाव देना पड़ेगा हर 30 बार दबाने के बाद हमें दो बार उसके मुंह यह नाक से सांस देना चाहिए जब तक एंबुलेंस ना आ जाए उसको सुरक्षित स्थान पर चिकित्सालय पहुंचाने की व्यवस्था ना हो जाए तब तक ऐसे व्यक्ति को सीपीआर लगातार देते रहना चाहिए यदि हम थक जाए तो किसी दूसरे तीसरे और चौथे व्यक्ति की भी मदद ले सकते हैं इस प्रकार हम उस व्यक्ति की जान बचाने में कामयाब हो सकते हैं।
डॉक्टर सचिन यादव ने बताया कि हम लोगों की प्राथमिकता इस वक्त विभिन्न स्कूलों के छात्र छात्राओं को इस संपूर्ण प्रक्रिया का प्रशिक्षण देना है जिससे कभी भी सड़क पर दुर्घटना के समय वह छात्र या छात्रा लोगों की जान बचाने में कामयाब हो सके।

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