75 में 70 जिलों में औसत से कम बारिश
लखनऊ । देश के कई राज्यों में बदरा उमड़ घुमड़ कर जमकर बरस रहे है।बारिश से कई राज्यों के लोग परेशान हैं।चिंता की लकीरें उत्तर प्रदेश के आम लोगों और किसानों के चेहरे पर भी झलक रही हैं।ये चिंता की लकीरें बारिश से नहीं बल्कि कम बारिश होने और सूखे जैसी स्थिति की वजह से है।यूपी के 75 में 70 जिलों में औसत से कम बारिश होने कारण खरीफ की फसल पर संकट के बादल मंडरा रहे है।बारिश न होने के कारण किसान बहुत परेशान हैं।
मेरठ का मिलक गांव धान की खेती करने के लिए मशहूर है। आसमान में काले बादल छाए होने के बाद भी खेतों में धान की रोपाई ट्यूबवेल के पानी से हो रही है।मिलक गांव के रहने वाले अमित अपने बीस बीघे खेत को पाइप से पानी पहुंचा पा रहे हैं।हर तीसरे दिन धान की फसल को पानी देना पड़ रहा है। लिहाजा अमित की लागत दस हजार रुपए से अधिक बढ़ गई है।
अमित ने कहा कि आज भी हल्की बारिश हुई है।तेज बारिश होती तो खेतों में पानी नजर आता।अब ट्यूबवेल से खेतों में पानी पहुंचाया जा रहा है,लेकिन हर खेत को कब तक ट्यूबवेल से पानी देंगे। बारिश न हुई तो लागत बहुत बढ़ जाएगी।
प्रदेश के जिन गांवों में ट्यूबवेल से खेती होती है।ये हालात वहां की स्थिति को बयान करते हैं।जहां ट्यूबवेल नहीं है,वहां पर और परेशानी हो रही है।बुंदेलखंड के क्षेत्र की ओर सकरार बांध की नहरें है।ये नहरें बारिश के मौसम में भी पूरी तरह सूख चुकी है और धूल उड़ रही है।यहां की खेती बारिश या इस तरह की नहरों पर आधारित है, लिहाजा सैकड़ों एकड़ खेत सूखे पड़े हैं।यहां खरीफ की फसल तिल,मूंग और चने की खेती होती है, लेकिन सूखे जैसे हालात पैदा हो गए हैं।किसानों का कहना है कि मौसम की बेरुखी से हम खरीफ की फसल नहीं बो पा रहे हैं।बिजली आती नहीं है कि निजी ट्यूबवेल से पानी लगवा दें।
बुंदेलखंड के झांसी जिले में किसानों का कहना है कि बारिश नहीं हुई है।जिससे बुवाई नहीं हो पा रही है।साथ ही लोगों ने आरोप लगाया कि विद्युत विभाग की तानाशाही है।बिजली नहीं देते हैं कि जिससे किसान अपने स्तर पर पानी लगवा लें।
बारिश नहीं होने से यूपी के 70 जिलों में सूखे जैसे हालात हैं।खुद मौसम विभाग के बीते एक महीने के आंकड़ों को देखा जाए तो पता चलता है कि राज्य के 48 जिलों में बहुत कम बारिश हुई है और 28 में कम बारिश हुई है।वहीं यूपी में 57 फीसदी, झारखंड में 46 फीसदी और बिहार में 27 फीसदी कम बारिश हुई है।
उत्तर प्रदेश में मानसून पर आईएमडी के बीते 30 साल के डाटा के आकलन के आधार पर काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरमेंट एंड वॉटर का कहना है कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण राज्य में करीब 25 फीसदी बारिश पहले ही कम हो चुकी है।ऐसे में किसानों के सामने आने वाले दिनों में खासी बड़ी चुनौती रहेगी।
संस्था के प्रोग्राम लीड अविनाश मोहंती बताते हैं कि आईएमडी के आंकड़ों के अनुसार बीते तीस सालों में पहले ही यूपी में करीब 30 फीसदी बारिश कम हो चुकी है।इसी ट्रेंड के तहत इस साल अब तक 50 फीसदी से कम बारिश हुई है। जो ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ते प्रभाव को दर्शाता है।
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