जनपद में इस समय कृत्रिम दूध व मिलावटी खोवा का धंधा जोरों पर चल रहा है। जिसे जिला का खाद्य सुरक्षा विभाग रोक पाने में असफल दिखाई दे रहा है। कई त्यौहार एक साथ होने के कारण दूध, खोवा व पनीर की मांग काफी बढ़ गई है। जिसे पूरा करने के लिए दूध के व्यापारी कृत्रिम दूध के साथ-साथ खोवा व पनीर में मिलावट कर बिना खौफ बेच रहे हैं। जो मनुष्यों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। यह एक ऐसा मीठा जहर है, जो मासूम बच्चों की जिन्दगी के ऐसा खिलवाड़ किया जा रहा है जो उनको कुपोषित व विकलांग बना सकता है, लेकिन जि मेदार इस ओर आंख बंद किये हुए है।
बतादें कि इस समय नवरात्र व मोहर्रम का पर्व चल रहा है, दशहरा होने वाला हैं। इसके बाद दीपावली का त्यौहार भी होना है। यह सभी त्यौहार दूध, खोवा पर आधारित है, जिसे आम दिनों की अपेक्षा इस समय दूध खोवा व पनीर की मांग कई गुना बढ़ी हुई है। दूध का उत्पादन कम होने के कारण मांग के अनुरूप आपूर्ति के लिए इस काम में लगे व्यवसायी मिलावट करके धन कमाने में जुटे है, जिनकी निगरानी खाद्य सुरक्षा विभाग नहीं कर पा रहा है। यह मिलावट का कारोबार फतेहपुर जनपद के सीमावर्ती गांवों में किया जा रहा है, जहां माल तैयार करके दोआबा के प्रमुख बाजारों मेें थोक रेट से बेच दिया जाता है। जिसे दोआबा के थोक विक्रेता फुटकर दुकानदारों के हाथ बेच देते हैं, जिनसे आम उपभोक्ता खरीदता है और उसका उपयोग कर रहा है। इसी प्रकार मिठाई के दुकानदार भी इसी मिलावटी खोवा के द्वारा मिठाईयां तैयार करते हैं, जिसे शुद्घ खोवा की मिठाई कहकर नवरात्र में व्रत रखने वाले लोगों के हाथ बेचा जाता है। जिसे खाकर व्रत रखने वाले लोगों के इस तपस्या को खंडित करने का काम कर रहे हैं।
फतेहपुर जनपद के खेरवा गांव में पिछले वर्ष कृतिम दूध बनाने की एक फैक्ट्री पकड़ी गयी थी। इसी प्रकार धाता में मिलावटी खोवा तैयार किया जा रहा है, जिसका प्रमुख बिक्री केंद्र दोआबा है। जिसे रोक पाने में जिले का खाद्य सुरक्षा मुहकमा नाकाम साबित हो रहा है। नवरात्र, दशहरा व दीपावली के इस अवसर पर सिराथू, अझुवा, मंझनपुर, करारी, भरवारी, चायल, सरांयअकिल, मूरतगंज, पश्चिम शरीरा, दारानगर, शहजादपुर, सैनी, देवीगंज, कड़ा जैसे प्रमुख बाजारों व कस्बों मेें कृतिम दूध व मिलावटी खोवा से पटे पड़े हैं, जिनके खाने से दोआबा की 18 लाख आबादी पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं।




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