शारदीय नवरात्र केअवसर पर कलश स्थापना के बाद पहली शक्ति के रूप में मां शैलपुत्री की श्रद्घा के साथ पूजा अर्चना हुयी। मां के जयकारों से पूरा माहौल भक्तिमय हो गया। सिराथू के कड़ा स्थित मां शीतला धाम, मंझनपुर के दुर्गा मंदिर सहित करारी, सरांयअकिल, पश्चिम शरीरा, भरवारी, मूरतगंज, चायल, मनौरी, दारानगर, अझुवा, बजहा सहित सभी प्रमुख कस्बों व गांवों में घरों, मंदिरों व पंडालों में भक्तगणों ने श्रद्घा के साथ व्रत रखकर पूजा, हवन किया। मंदिरों की परिक्रमा में दिनभर भक्तगण जुटे रहे। जिसे देखकर ऐसा लग रहा था कि मानों पूरा जनमानस श्रद्घा व भक्ति भावना में शराबोर हो चुका है।
माँ शैलपुत्री की पूजा-अर्चना से भक्तगणों के कष्टï दूर होते है तथा कामनाओं की पूर्ति होती है। शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की पुत्री मानी जाती हैं, जिनके बांये हाथ में कमल का पुष्प है जो मनुष्यों के भीतर की पवित्रता, प्रेम, सरलता और सादगी की ओर इशारा करता है, जिसके द्वारा हमें धर्म के निर्वाह करने की शक्ति प्राप्त होती है। इनके दाहिने हाथ में त्रिशूल रहता है। जो इस बात का संकेत करता है कि प्रेम और सादगी के द्वारा ही हम दैहिक, दैविक, भौतिक, को नष्टï कर सकते हैं। माँ को प्रसन्न करने के लिए सफेद पुष्प, सफेद रंग के व्यंजन, नारियल अर्पित किया जाता है। इससे आयु में वृद्घि होती है। इन्हीं सब कामनाओं की पूर्ति के लिए भक्तगण नवरात्र के अवसर पर व्रत रखकर माँ दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों में पूजा-अर्चना करते हैं।
आज होगी मां ब्रहा्रचारिणी की पूजा
नवदुर्गाओं का दूसरा रूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा नवरात्रि के दूसरे दिन की जाती है। देवी ब्रह्मचारिणी मां पार्वती का ही रूप है। उन्होंने शिव को पाने के लिए कठिन तपस्या की थी जिसके कारण उन्हें ब्रह्मचारिणी नाम दिया गया। इनका रूप अत्यन्त मनोहर है और अपने भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी करने वाली हैं। मां को चीनी का भोग लगता है और ब्राहमण को भी दान में चीनी ही दी जाती है। साधक इस दिन अपने मन को मां के चरणों में लगाते हैं। ब्र ह का अर्थ है, तपस्या और चारिणी का यानी आचरण करने वाली। इनके दाहिने हाथ में जप की माला और बांये हाथ में कमंडल। इस दिन साधक कुण्डलिनी शक्ति को जागृत करने के लिए भी साधना करते हैं, जिससे उनका जीवन सफल हो सके और अपने सामने आने वाली किसी भी प्रकार की बाधा का सामना आसानी से कर सकें। मां दुर्गा जी का यह दूसरा स्वरूप भक्तों और सिद्घों को अनंत फल देने वाला है। इनकी उपासना से मनुष्य में तप, त्याग, वैराग्य संयम की वृद्घि होती है। कठिन संघर्षों में भी साधक का मन कर्तव्य पथ से विचलित नहीं होता।
फूलों की बढ़ी मांग
शारदीय नवरात्र के अवसर पर जहां फलों व अन्य चीजों के दाम बढ़ गये हैं, वहीं फूलों की अधिक मांग होने से इसके दाम भी काफी बढ़ गये हैं। आम तौर पर फूलों के दाम कम होते हैं, लेकिन नवरात्र व शादी विवाह की लगन के समय फूलों की मांग अधिक होने के कारण इनके दाम बढ़ जाया करते हैं।
इस समय शारदीय नवरात्र के कारण फूल महंगे हो गये हैं। फूलों का कारोबार करने वाले कड़ा के माली बताते हैं कि इस बार फूलों का उत्पादन कम हो रहा है। इस समय मांग इतनी अधिक है कि मांग के अनुसार फूल नहीं मिल पा रहे हैं, उन्होंने बताया है कि आमतौर पर बिकने वाला गेंदा के फूल 100 रूपये के स्थान पर 200 रूपये में मिल रहा है। इसी प्रकार गुलाब का फूल 80 के स्थान पर 300 रूपये किलो मिल रहा है। कई माली बताते हैं कि चांदनी फूल की मांग सबसे अधिक है। जो 100 रूपये के स्थान पर 300 रूपये प्रति किलो हो गया है। विलायती फूलों के दाम भी इस समय बढ़े हुए हैं।
फूल का कारोबार करने वाले चुन्नू माली बताते हैं कि दोआबा में फूलों के उत्पादन के अच्छे अवसर हैं, लेकिन सुविधाएं मुहैया न होने के कारण इसका उत्पादन यहां बहुत कम हो रहा है। मजबूरन उन लोगों को फूल इलाहाबाद, बनारस, मिर्जापुर आदि स्थानों से फूल लाकर यहां भक्तगणों को देना पड़ता है। इससे उन लोगों को बचत बहुत कम होती है, उन्होंने बताया कि साल में नवरात्र के दोनों अवसरों पर फूल की सबसे अधिक मांग बढ़ जाती है। क्योंकि प्रत्येक परिवार में भक्तगणों द्वारा पूजा के समय मां के चरणों में फूल अर्पित करने के लिए ले जाया जाता है।
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