राजधानी स्थित प्रसाद इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, जिसे मानकों में अनियमितता पाए जाने पर काली सूची में डाल दिया था, उसे लेंन देंन के जरिये रफा-दफा करने के मामले में सीबीआई ने ट्रस्ट के पदाधिकारियों के विरुद्ध सुसंगत धाराओं में मुकदमा पंजीकृत कर, ट्रस्ट के कई ठिकानों पर आकस्मिक छापेमारी की है। जिसके चलते शिक्षा माफियाओं में हड़कंप सी मच गई है।
सीबीआई की आकस्मिक छापेमारी में गोमती नगर स्थित एल्डिको ग्रीन स्थित फ्लैट व सेवानिवृत्त एक जस्टिस के आवास पर भारी मात्रा में अभिलेख बरामद किये गए हैं।
मिली खबरों के मुताबिक जौनपुर जिला मुख्यालय के समीप स्थित प्रसाद इंजीनियरिंग कालेज के निदेशक बीपी यादव एवं अन्य द्वारा प्रसाद एजुकेशन ट्रस्ट के तहत लखनऊ के सराय शहजादी बँधरा में स्थित प्रसाद इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस की कक्षाएं संचालित की जा रही है, जिसे शासन द्वारा आवश्यक दस्तावेजों की पूर्ती न होने के चलते इसे काली सूची में डाला जा चुका है।
यह भी बता दें कि प्रसाद इंस्टीट्यूट समेत 46 कॉलेजों को मानकों की पूर्ति न होने के चलते शासन ने कड़ा रुख अख्तियार करते हुए इन्हें काली सूची में डालते हुए जांच शुरू कर दी है।
इस पूरे मामले को लेकर सत्ता के गलियारे में अपनी अच्छी पैठ बताने वाले प्रसाद एजुकेशन ट्रस्ट के निदेशक बीपी यादव ने उड़ीसा हाईकोर्ट के एक सेवानिवृत्त जज व अन्य को माध्यम बनाकर सुविधा शुल्क के जरिये कालेज को काली सूची से निकलवाने का कुत्सिक प्रयास किया जा रहा था।
इस पूरे मामले को ट्रस्ट के निदेशक ने सुप्रीम कोर्ट में भी एक याचिका दाखिल की थी, जिसपर उच्चतम न्यायालय ने बीते माह सरकार को निर्देश दिया था कि पूरे मामले पर पुनः सुनवाई कर आवश्यक कार्यवाही करे, जिसपर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का समादर करते हुए इन कॉलेजों में दो वर्ष के लिए नए प्रवेश पर पाबंदी लगा दी और मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को निर्देशित किया कि इस कालेज से दो करोड़ की बैंक गारण्टी वसूली की जाय, जिसपर कालेज के प्रबंधन ने योजनाबद्ध तरीके से मामले को एनकेन प्रकारेण निस्तारित करने का कुत्सिक प्रयास किया।
इसी क्रम में उच्चतम न्यायालय से याची ने अपनी याचिका वापस लेकर उच्च न्यायालय इलाहाबाद में एक याचिका योजित की, जिसपर उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने केंद्र सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबन्ध पर स्थगन आदेश दे दिया।
हाईकोर्ट के निर्णय के बाद मेडिकल काउंसिल ने उच्चतम न्यायालय में एसएलपी योजित कर हाईकोर्ट के स्थगन आदेश का विरोध किया।
इस पूरे मामले को लेकर सीबीआई ने कड़ा रुख अख्तियार करते हुए कार्यवाही शुरू कर दिया है।
सीबीआई की छापेमारी के बाद अब जौनपुर में भी लोगों द्वारा कयास लगाया जा रहा है कि कहीं शासन की नजर प्रसाद इंजीनियरिंग कालेज पर भी तो नहीं है।
जानकारों की मानें तो प्रसाद इंजीनियरिंग कालेज में भी पूरी तरह से छात्र एवं अभिभावकों के साथ सौतेला व्यवहार करते हुए मनमानी फीस वसूली जाती है, इतना ही नहीं छात्रों की शैक्षिक प्रमाण पत्रों की मूल दस्तावेज भी संस्थान द्वारा दबंगई से जमा कराया जाता है, जो शिक्षा अधिनियमों के प्रतिकूल है।
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