शीतला चौकिया धाम में चल रहे श्री राम कथा के तीसरे दिन कथा वाचक डॉ मदन मोहन मिश्र जी ने कहां की परमात्मा को पाने का सच्चा साधन दीन दुःखियों की सेवा करना,किसी भी पीड़ित व्यक्ति कि सहायता करना, भूखें को भोजन औऱ वृद्ध की सेवा करना, माता पिता गुरु की सेवा करना किसी भी जीव की पीड़ा को देखकर करुणा की भावना से उसका उपचार करवाना तथा निर्धन परिवार की बहन बेटियों शादी विवाह करवा देना आदि सतकर्म होते है। यह सभी कार्य करने से परमात्मा की कृपा मनुष्य पर हमेशा बनी रहती है।ऐसे व्यक्ति से ईश्वर सदैव प्रसन्न रहते है।परमात्मा ने ही सारी सृस्टि की रचना की है। सभी जीव जंतु पेड़ पौधे वायु जल थल में सभी में परमात्मा का निवास है। सबसे ऊपर मानव धर्म एवम् इंसानियत है ।हर जात धर्म वर्ण पर रोगों की एक ही दवा काम करती है। मिश्र जी ने कहा कि जब पृथ्वी पर पाप अत्याचार औऱ व्याभिचार बढ़ता है। तब तब प्रभु अवतार् लेते है। समस्त पापियो का संहार कर पाप से पृथ्वी को मुक्त करते है। धर्म की स्थापना करते है।पंडित जी ने कहा कि मानवता के खिलाफ कहने बोलने वाला हर व्यक्ति धर्म से भटका हुआ है।भगवानश्री राम इंसानियत औऱ मानवता की रक्षा करके जीवो के प्रति न्या्य व् सुख़ शांति की स्थापना के लिए युग युग में अवतार लेते है।संत व सतसंग हर जाती धर्म वर्ण की शुख शांति के लिए संजीवनी बूटी है। डॉ अखिलेश चंद्र पाठक जी ने कहा की श्रीराम अवतार कलयुग में भी मानव के लिए आदर्श जीवन जीने की कला समाज को देती है ।रामचरित्र मानस में पुरुषोत्तम श्री राम जी ने छोटे बड़े ऊचनीच का भेदभाव मिटाते हुए अपने वन गमन के दौरान सबरी के जुठे बेर खाये व् निषादराज को अपना मित्र बनाया।उन्होंने राज सुख को छोड़कर 14 वर्ष वन में बिताएं व् शाधु शन्तो कि सेवा की।कथा के तीसरे दिन पंडाल भक्तों से भरा रहा। अमरनाथ वर्मा ,सुशीला वर्मा,अनिल साहू, विद्याधर त्रिपाठी,धीश माली संजय गुप्ता,धीरज त्रिपाठी,सचिन गिरी,विनय,आकाश, हनुमान त्रिपाठी,विजय दुबै,सुरेन्द्र नाथ त्रिपाठी समेत सैकड़ो की संख्या में भक्तगण मौजुद थे




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