भइया दूज के अवसर पर बहनों ने अपने भाईयों को रोली एवं अक्षत से तिलक लगाकर उसके उज्ज्वल भविष्य के लिए आशीष दिया। भाई ने भी बहन को उपहार व दक्षिणा दिया। भइया दूज दीपावली के दो दिन बाद आने वाला ऐसा त्यौहार है, जिसमें भाई के प्रति बहन के प्यार को दर्शाता है। बहनें अपने भाई की खुशहाली की कामना करती हैं।
भइया दूज पर भातृ द्वितीया, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाने वाला हिन्दू धर्म का पर्व है, जिसे यम द्वितीया भी कहा जाता है। इस पर्व पर जो बहने ससुराल में रहती हैं, वह भइया दूज के अवसर पर भाई से मिलने के लिए आती हंै और उनको टीका लगाकर आशीर्वाद देती हैं। इस अवसर पर बहने पीढिय़ों पर चावल के घोल से चौक बनाती हंै। इस चौक पर भाई को बैठाकर बहनें उनकी हाथों की पूजा करती हैं। विद्वानों के अनुसार यम द्वितीया को मृत्यु के देवता यमराज का पूजन किया जाता है। इस दिन बहनें भाई को अपने घर आमंत्रित कर या उनके घर जाकर तिलक करती हंै और भोजन कराती हैं, जो भाई अपनी बहन के घर जाकर उसका आतिथ्य स्वीकार करें तथा उसे उपहार दें, उसकी सब अभिलाषाएं पूर्ण होती हंै। इस त्यौहार का असल मकसद यह है कि भाई और बहनों के बीच आपसी स्नेह बना रहे और एक दूसरे के प्रति निष्कपट प्रेम प्रोत्साहित होता रहे।
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