नारी मानव की जननी ही नहीं बल्कि मानव को मानव बनाने वाली है। आज उसी नारी की अस्मिता खतरे में है। यद्ïपि इतिहास साक्षी है कि जब-जब स्त्री की अस्मिता पर किसी ने आक्रमण किया तो उसका समूल नाश हुआ है।
उक्त बातें संत निरंकारी समागम मु यालय मंझनपुर में संत अनुज उपाध्याय ने भक्तो को प्रवचन के दौरान कही। उन्होंने प्रत्येक वर्ष नवरात्रि के दो अवसर आते हैं जबकि जगत जननी जगदंबा की पूजा आरधना करते हुये हम संकल्प लेते हैं हमारे जीवन में स्त्री का स्थान सदा पूजनीय होगा। कहा भी गया है कि जहां स्त्री का स मान होता है, वहां देवता निवास करते हैं और वहीं सुख शांति होती है। हमे इस तथ्य को समझना होगा और भावी पीढ़ी को समझाना होगा कि स्त्री को मातृत्व भाव से मानने पर ईश्वर भी प्रसन्न होता है और मनुष्य में दिव्य भाव का प्रसफुरण होता है। स्त्री ईश्वर की शक्ति रूपणी माया है जो ईश्वरीय भावों से युक्त है। ईश्वर की सृष्टिï की संचालन के लिए स्त्रिी को अग्रणी करना पड़ा और समय-समय पर मानव कल्याण के लिए नारी उदर से प्रकट होना पड़ा। आज महती आवश्यकता इस बात की है कि मानव समाज को स्त्री के प्रति पूज्य भाव का जागरण करना होगा और जहां भी स्त्री का अपमान हो या स्त्री प्रताडि़त हो उसका प्रतिरोध करना होगा। निरंकारी मिशन स्त्री-पुरुष सब में समान रूप से ईश्वरीय अंश का दर्शन करता है। स्त्री की चरण वंदना करके जहां स्त्री को जहां ईश्वर का साकार रूप मानता है, समाजिक व्यवस्था को सुचारु रूप से चलाने के लिए बहन कहकर पुकारना और सभी कार्यो में सहभागी बनाना प्रस्तुत करता है। इस अवसर पर काफी सं या में निरंकारी भक्त मौजूद रहे।
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