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सरकार ने किया ‘राष्ट्रीय मुनाफाखोरी विरोधी प्राधिकरण’ का गठन

नई दिल्ली। दो सौ से अधिक वस्तुओं और सेवाओं पर जीएसटी की दरें घटाकर राहत की सौगात देने के बाद मोदी सरकार यह सुनिश्चित करने में जुट गयी है कि इसका लाभ आम लोगों तक पहुंचे। केंद्र ने इस दिशा में कदम उठाते हुए जीएसटी ‘राष्ट्रीय मुनाफाखोरी विरोधी प्राधिकरण’ के गठन को मंजूरी दी है। जीएसटी की दरें घटने के बावजूद अगर किसी वस्तु या सेवा के दाम कम नहीं होते हैं तो यह प्राधिकरण कार्रवाई करेगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बृहस्पतिवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में ‘राष्ट्रीय मुनाफाखोरी विरोधी प्राधिकरण’ के गठन पर मुहर लगायी गयी। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कैबिनेट के फैसलों की जानकारी देते हुए कहा कि इस प्राधिकरण की स्थापना इसलिए की जा रही है ताकि जीएसटी की दरों में कटौती का फायदा कम हुई कीमतों के रूप में ग्राहकों को मिले।

भारत सरकार में सचिव स्तरीय वरिष्ठ अधिकारी जीएसटी ‘राष्ट्रीय मुनाफाखोरी विरोधी प्राधिकरण’ का प्रमुख होगा जबकि इसमें केंद्र और राज्यों से चार तकनीकी सदस्य होंगे। प्रसाद ने कहा कि जीएसटी ‘राष्ट्रीय मुनाफाखोरी विरोधी प्राधिकरण’ के गठन के लिए कदम मोदी सरकार की प्रतिबद्धता को प्रकट करता है। जीएसटी की दरों में कटौती का लाभ कीमतों में कमी के रूप में ग्राहकों तक पहुंचे, यह सुनिश्चित करने के लिए सरकार हर संभव कदम उठाएगी।

हाल ही में जीएसटी काउंसिल ने 215 वस्तुओं और रेस्टोरेंट सेवाओं पर जीएसटी की दरों में कटौती का अहम फैसला किया है। काउंसिल का फैसला 15 नवंबर से प्रभावी हुआ है। काउंसिल ने 178 वस्तुओं पर जीएसटी की दर 28 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत की है।

उल्लेखनीय है कि जीएसटी कानून में मुनाफाखोरी विरोधी उपायों का प्रावधान है। इसी को अमल में लाने के लिए प्राधिकरण का गठन किया है। यह प्रावधान दरअसल इसलिए किया गया है कि जीएसटी में इनपुट टैक्स क्रेडिट की सुविधा मिलने या दरों में कटौती होने का लाभ कीमतों में कमी के रूप में ग्राहकों तक पहुंचना चाहिए। जीएसटी ‘राष्ट्रीय मुनाफाखोरी विरोधी प्राधिकरण’ के अलावा प्रत्येक राज्य में स्टेंडिंग कमिटी और स्क्रीनिंग कमिटी का गठन भी किया जाएगा। इसके अलावा केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड में महानिदेशक सेफगार्ड्स भी इस तरह के मामलों पर नजर रखेगा।

अगर किसी ग्राहक को लगता है कि जीएसटी की दरों में कटौती का लाभ उसे नहीं दिया जा रहा है तो वह पहले स्क्रीनिंग कमिटी के पास शिकायत कर सकता है। हालांकि अगर यह मामला राष्ट्रीय स्तर का है तो सीधे इसकी शिकायत स्टेंडिंग कमिटी को भेजी जा सकती है। अगर स्टेंडिंग कमिटी को प्रथम दृष्टया यह मामला मुनाफाखोरी का लगता है तो वह इस मामले को विस्तृत जांच के लिए महानिदेशक सेफगार्ड्स के पास भेज सकता है। महानिदेशक सेफगार्ड्स इस मामले की जांच करने के बाद अपनी रिपोर्ट जीएसटी राष्ट्रीय मुनाफाखोरी विरोधी प्राधिकरण को सौंपेगा।

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