ऐसा समझा जाता है कि शनिदेव अनिष्टकारी, दुखदायक और अशुभ के प्रतीक हैं, परंतु ये सच नहीं है। वास्तव में वे सकारात्मक प्रभाव वाले न्याय और संतुलन करने वाले ग्रह हैं। शनि अमावस्या पर उनको संतुष्ट करने के लिए शुद्ध मन और विधि विधान से पूजा करनी चाहिए। उनकी पूजा का एक विशेष तरीका है जिसका पालन करना जरूरी है।
ऐसे करें पूजा
सबसे पहले जान लें कि शनि में श्रद्धा रखने वाले किसी भी शनिवार से उनका व्रत एवम् पूजन शुरू कर सकते हैं। शनिदेव की पूजा के लिए शनिवार को व्रत का संकल्प लेकर नहा-धोकर काले वस्त्र धारण कर पूजा शुरु करें। इस दिन सरसों या तिल के तेल से दिया जला शनिदेव को अर्पित करें। इसके साथ ही शनिदेव को तिल, काली उदड़ या कोई भी काली वस्तु भेंट में चढ़ायें। शनि गायत्री मंत्र और शनि चालीसा आदि का जाप करें। खासबात ये है कि शनि चालिसा में आपको शनि को शांत रखने के समस्त उपाय मिल जायेंगे।
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