इलाहाबाद | राष्ट्रीय शिल्प मेले के तीसरे दिन
23 प्रदेशों से आये शिल्प एवं व्यंजनों के साथ लोक एवं जनजातीय नृत्यएवं संगीत की प्रस्तुतियों के बीच अपने इलाहाबाद के भी कलाकारों एवंशिल्पियों को ख़ास स्थान मिला। इस बार इलाहाबाद के 26 शिल्पकारों एवंख़ानसामाओं को अपने हुनर को दिखने का सुअवसर मिला है जिनकोदेखने, खरीदने एवं चखने के लिए शहरवासियों ने भारी संख्या में पहुंच करमेले को गुलज़ार बना दिया।
शिल्प हाट मेंपटियाला पंजाब से आये नन्द लाल जी के जूतियों के स्टाल पर भरसकभीड़ देखि गयी। हर कोई अपने अपने साइज की जूतियाँ ढूंढ रहा था फिरचाहे वो 06 माह के बच्चे के लिए रंगबिरंगी झुंझूनेवाली जूती हो या 100वर्ष के काका के लिए पारम्परिक चमड़े की जूती। उनके स्टाल पर महिलाएंएवं पुरुष भी अपने अपने लहंगे एवं शेरवानी की मैचिंग की जूतियाँ खरीदतेदिखे तो कुछ नौजवान अपने लिए ट्रेंडी जूतियाँ लेते। नन्दलाल ने बतायाकी उनके स्टाल पर लेदर और नॉन लेदर दोनों से निर्मित नौ प्रकार कीजूतियाँ हैं जिनमें तिला जूती, धागे वाली जूती, नग वाली जूती, कश्मीरीजूती, जरी वर्क वाली जूती, इम्पोर्टेड कपड़े वाली जूती, दबका वर्क वालीजूती, सी पी वर्क वाली जूती, मोती वर्क वाली जूती आती है। उन्होंने बतायाकी उनके स्टाल पर मात्र 150/- रूपए से लेकर 1200/- तक में सभीजूतियाँ उपलब्ध हैं और वे पिछली तीन पुश्तों से ये काम करते चले आ रहेहैं। यहाँ वो अपने भाई श्याम लाल के साथ आये हैं। इसके आगे उन्होंनेबताया की बदलते समय के साथ अब वो भी अपने सामान फ्लिपकार्ट परभी बेचते हैं और उनके स्टाल पर पेमेंट के लिए स्वाइप मशीन के साथपेटीएम अकाउंट भी उपलब्ध है। इसके इलावा लोगों को पहली बार शिल्पमेले में आये हैदराबाद से साउथ इंडियन फूड भी काफी पसंद आया।
इसी क्रम में केंद्र के प्रभारी निदेशकनरेंद्र सिंह ने जानकारीदेते हुए बताया की इस बार के राष्ट्रिय शिल्प मेले के माध्यम से “बेटी बचाओबेटी पढ़ाओ”, “स्वच्छ भारत अभियान”, “गो कैशलेस गो डिजिटल” मुहीमके प्रति भी सन्देश दिया जा रहा है। इसके लिए पूरे मेले एवं केंद्र परिसर मेंजगह जगह साइनेजस लगवाए गए हैं। जिनके साथ ही होने वाले कार्यक्रमोंएवं स्टाल्स में खासी तवज्जो दी गयी है।
आज की सांस्कृतिक संध्या का मुख्य आकर्षण बिंदु दिल्ली से आयेउपशास्त्रीय गायक अमजद अली खान रहे जिन्होंने ने राग पुरियाधनाषरिछेड़ कर की। अमजद खान किराना घराने की 12वीं पीढ़ी से हैं और 6-7साल की उम्र से ही गाना शुरू कर दिया था। वे देश विदेश में जाने मानेशास्त्रीय एवं उपशास्त्रीय गायक हैं। उन्होंने जैसे ही हज़रत आमिर खुसरोका मशहूर सूफी कलमा “छाप तिलक सब छीनिरे मोने नयना मिलाई के…”लोगों के पेअर सहसा की हवा में उछल गए। इसके बाद उन्होंने इस ठण्ड केमौसम में होरी “रंगी सारी गुलाबी चुनरी…” सुना के प्रांगड़ के मौहौल में एकअलग ही सांस्कृतिक रंग बिखेर दिया। उनके साथ सांगत में तबले पर श्रीशौकत कुरैशी एवं हारमोनियम पर श्री अनिल मासूम थे।
आज की सांस्कृतिक संध्या की शुरुआत बिरहा गायन से हुईजिसे इलाहाबाद के बाबूलाल भंवरा एवं उनके दल ने प्रस्तुत किया जिसकेउपरांत दर्शकों को सागर, मध्य प्रदेश से आये राम सहाय पांडेय एवंउनके दल द्वारा प्रस्तुत राई नृत्य, कश्मीर से आयी सुश्री रुबीना एवं उनकेदल द्वारा रूफ लोक नृत्य, सोनभद्र से आये कतवारू एवं उनके दल नेकर्मा नृत्य, इत्यादि लोक एवं जनजातीय लोक नृत्य। इस तरह कुल मिलाकर के दर्शकों को 10 प्रस्तुतियाँ देखने को मिली जिसे शहरवासियों की खूबसराहना मिली।
आज के कार्यक्रम का मंच सञ्चालन सुप्रसिद्ध उद्धघोषिका डॉआभा श्रीवास्तव ने किया एवं उन्होंने कल के सांस्कृतिक कार्यक्रमों के बारेमें जानकारी देते हुए बताया की कल का सांस्कृतिक कार्यक्रम सांय 05:30बजे से शुरू हो जायेगा।
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