इलाहाबाद | राष्ट्रीय शिल्प मेला का भव्य आयोजन उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र के शिल्प हाट में 11 किया जा रहा है जिसके ४ दिन 23 प्रदेशों से आये शिल्प एवं व्यंजनों के साथ लोक एवं जनजातीय नृत्य एवं संगीत की प्रस्तुतियों के बीच अपने इलाहाबाद के भी कलाकारों एवं शिल्पियों को ख़ास स्थान मिला। इस बार इलाहाबाद के 26 शिल्पकारों एवं ख़ानसामाओं को अपने हुनर को दिखने का सुअवसर मिला है जिनको देखने, खरीदने एवं चखने के लिए शहरवासियों ने भारी संख्या में पहुंच कर मेले को गुलज़ार बना दिया।
उत्तर मध्य सांस्कृतिक केन्द्र ) के शिल्प हाट में भदोही, उत्तर प्रदेश से विश्व प्रसिद्ध कालीन ले कर इलाहाबाद आये हामिद एवं अफ़रोज़ के स्टाल नं 129 पर लखटकिया कालीन चर्चा का विषय और ख़ास आकर्षण का केंद्र बिंदु रही। अफ़रोज़ ने बताया की ये पर्शियन नॉट से बानी है जिसे 05 कारीगर मिल कर बनाते हैं और इसे तैयार होने में करीब 01 साल का वक्त लगता है। उन्होंने बताया की इसको बनाने में 18 से 20 वर्किंग प्रोसीजर्स का इस्तेमाल होता है। तैयार होने पर इन कालीनों की कीमत कई लाखों तक होती है। अभी यहाँ वो ढाई लाख कीमत वाली कालीन भी लेकर आये है जिसकी लम्बाई 12 फुट और चौड़ाई 09 फुट है।
उन्होंने बताया की उनके स्टाल पर 100 रूपए कीमत के पाओदान से लेकर ढाई लाख कीमत वाली कालीन उपलब्ध है। इसके इलावा उनके पास इलाहाबादियों के लिए अन्सिएंट कार्पेट, मुग़ल कार्पेट, ईरानी कार्पेट, सोवर कार्पेट, डिज़ाइनर कार्पेट, डेली यूज़ कार्पेट, दरी इत्यादि उपलब्ध है। आगे उन्होंने बताया की वे पिछली दो पीढ़ी से इस काम से जुड्रे है और उनकी इन कार्पेट्स की ज्यादा डिमांड और सप्लाई विदेशों में है जिनमें अमेरिका और यूरोप के ठण्डे देश ख़ास बाजार है। इस अनोखे राष्ट्रीय शिल्प मेला में इन हुनरमंद के इलावा ग्वालियर से आये कैलाश नारायण गुप्ता की अगरबत्ती और इत्र की खुशबू से पूरा दर्शक प्रभावित हुए बिना निकल नहीं पा रहे थे। उनके पास 70 रूपए कीमत की अगरबत्ती से लेकर 800 रूपए कीमत तक की इत्र मौजूद है। स्टाल पर पुष्पेन्द्र गुप्ता ने बताया की उनकी अगरबत्तियां पूणतः नेचुरल आयल से बनती है जिनमें बाँस, अल्कोहल या किसी भी प्रकार के केमिकल का इस्तेमाल नहीं होता। वे सी आर डी वुड या जिसे सरकंडा भी बोलते हैं उसका इस्तेमाल करते हैं। यहाँ उनके पास 8 घण्टे तक जलने वाली गार्डन अगरबत्ती भी है, वैसे उन्होंने 72 घण्टे तक जलने वाली अगरबत्ती बना कर वर्ल्ड रिकॉर्ड कुछ साल पहले ही बनाया है। इसके इलावा वे अपने ग्राहकों को देश भर फ्री होम डिलीवरी देते है एवं पैसे डिलीवरी के बाद स्वीकार करते हैं।
इसी क्रम में केंद्र के प्रभारी निदेशक, नरेंद्र सिंह ने जानकारी देते हुए बताया की इस बार के राष्ट्रिय शिल्प मेले के माध्यम से “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ”, “स्वच्छ भारत अभियान”, “गो कैशलेस गो डिजिटल” मुहीम के प्रति भी सन्देश दिया जा रहा है। इसके लिए पूरे मेले एवं केंद्र परिसर में जगह जगह साइनेजस लगवाए गए हैं। जिनके साथ ही होने वाले कार्यक्रमों एवं स्टाल्स में खासी तवज्जो दी गयी है।
आज की सांस्कृतिक संध्या का मुख्य आकर्षण बिंदु इलाहाबाद के जाने माने सुगम संगीतकार उदय सिंह परदेसी की शिष्या सुश्री रागिनी गुप्ता रहीं जिन्होंने अपने सुगम संगीत और फिर बाद में लोक गीत खेमटा और दादरा सुना लोगों का मन मोह लिया। उन्होंने अपनी प्रस्तुति की शुरुआत गणेश वन्दना “गणपति शरण मिले चरण में…. ” की प्रस्तुति से की। जिसके उपरांत लोगों को “बार बार खनके कंगना मोरे आएंगे परदेसी सजना…” से अपनी प्रस्तुति से आज की सांस्कृतिक संध्या को एक नए मुकाम पर पहुँचा दिया। इसके बाद उनके द्वारा लोक गीत खेमटा के अंतर्गत “बड़ा नीक लागे सजन तोर गाँव रे….” और इसके बाद उन्होंने लोक गीत दादरा के अंतर्गत करे ना केहु हे गुइयाँ अइसन पिरितिया मुहँवा में राम राम मनवा में छुरिया रे….” प्रस्तुत किया।
आज की सांस्कृतिक संध्या की शुरुआत बिरहा गायन से हुई जिसे इलाहाबाद की सुश्री सागर एवं उनके दल ने प्रस्तुत किया जिसके उपरांत दर्शकों को मुंबई से आये ओम प्रकाश एवं उनके दल द्वारा प्रस्तुत भजन सुनने को मिला। सुश्री रागिनी गुप्ता के सुगम संगीत के उपरांत लोगों को दुर्ग, छत्तीसगढ़ से आये मिलाप दास बंजाए द्वारा प्रस्तुत पंथी नृत्य और इसी क्रम में लोक एवं जनजातीय कलकारों द्वारा बैगा परधौनी, मणिपुर का मैंबी और स्टिक डांस के साथ फाग एवं लावणी भी देखने को मिला जिसे देखने इलाहाबाद जनमानस का सैलाब रहा और जिसे शहरवासियों की खूब सराहना मिली।
आज के कार्यक्रम का मंच सञ्चालन सुप्रसिद्ध उद्धघोषिका श्रीमती रेनू राज सिंह ने किया एवं उन्होंने कल के सांस्कृतिक कार्यक्रमों के बारे में जानकारी देते हुए बताया की कल का सांस्कृतिक कार्यक्रम सांय 05:30 बजे से शुरू हो जायेगा।
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