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योगी अादित्यनाथ ने विपक्ष पर बोला हमला कहा, सुरक्षा से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं

लखनऊ । मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कथित संदिग्ध पाउडर पेंटाइरिथिट्राल टेट्रा नाइट्रेट (पीईटीएन) के मुद्दे को लेकर सरकार की घेराबंदी कर रहे विपक्षी सदस्यों पर जमकर हमला बोला। उन्होंने सदस्यों को सदन की मर्यादा के अनुरूप बोलने की चेतावनी देते हुए कहा कि किसी सदस्य का सम्मान सदन से बड़ा नहीं है। सुरक्षा के मुद्दे पर किसी को खिलवाड़ की छूट नहीं दी जाएगी। सदन की मर्यादा पीईटीएन से नहीं राज्यपाल पर गोले फेंकने से, व्यक्तिगत रूप से कीचड़ उछालने, अशिष्ट भाषा बोलने और सीटियां बजाने से तार-तार होती है। गरिमा को तार-तार करेंगे तो सत्तापक्ष बर्दाश्त नहीं करेगा।

शीतकालीन सत्र के चौथे दिन मंगलवार को विधानसभा में पीईटीएन प्रकरण को लेकर सपा और भाजपा के बीच जमकर तकरार हुई। 12 जुलाई को सदन में पाउडर मिलने के बाद मुख्यमंत्री द्वारा उसे पीईटीएन बताये जाने पर नेता प्रतिपक्ष राम गोविंद चौधरी, नेता बसपा दल लालजी वर्मा और कांग्रेस दल के नेता अजय कुमार लल्लू ने सवाल उठाया। इनके जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि दो दिन से आप अशिष्ट भाषा बोल रहे और हम मौन हैं। मुद्दों पर बोलने के बजाय निजी आक्षेप न लगाएं। अधिकार का दुरुपयोग मत करिए। कहा, अध्यक्ष जी ने जब मुझे जानकारी दी तो उस दिन दस बजे मैं सदन में आ गया।

जितना आवश्यक कदम उठाना चाहिए उठाया गया। उन्होंने इस बात पर एतराज जताया कि दलीय बैठक में जो तय हुआ उसी के अनुरूप उन्होंने कार्य किया लेकिन, दलीय नेता विधानसभा में दूसरे तरह की बात करने लगे हैं। योगी ने कहा कि हम मानते हैं कि वह पीईटीएन नहीं निकला लेकिन, हमारी सतर्कता से सुरक्षा को बल मिला। दुर्भाग्यपूर्ण देरी काल भी बन सकती थी। उन्होंने पूरी कार्रवाई का ब्योरा देते हुए बताया कि झूठी सूचना देने वाले एफएसएल के निदेशक को बर्खास्त कर दिया गया। योगी ने यह भी सवाल उठाया कि आखिर विवादित व्यक्ति को एफएसएल का निदेशक किसने बनाया। जिस काम के लिए सरकार की सराहना होनी चाहिए उस पर बवाल हो रहा है। क्या विस्फोटक होता तो आप लोग इंतजार करते।

इसके पहले नेता प्रतिपक्ष राम गोविंद ने कहा कि बिना सक्षम लैब से जांच कराए मुख्यमंत्री ने बयान देकर सदन का अपमान किया। दो सदस्य पूछताछ के नाम पर प्रताडि़त किये गए। इससे सदन की मर्यादा तार-तार हुई। वह दोषियों को दंडित करने की मांग कर रहे थे, जबकि कांग्रेस के अजय कुमार लल्लू ने कहा कि सीएम ने जिस तरह का बयान दिया उससे डर का माहौल बना। वह जांच रिपोर्ट को पटल पर रखने की मांग कर रहे थे। बसपा के लालजी वर्मा ने कहा कि जांच रिपोर्ट सदन में आनी चाहिए। सपा सदस्यों ने मुख्यमंत्री पर सदन को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए हंगामा किया। वेल में पहुंचे सपाइयों ने नारेबाजी कर लगभग 45 मिनट तक कार्यवाही नहीं चलने दी। बसपा और कांग्रेस ने भी मुख्यमंत्री के बयान पर सवाल उठाए।

माहौल उस समय तनावपूर्ण हो गया जब नेता विरोधीदल राम गोविंद चौधरी नियम-300 के तहत सदन में गत 14 जुलाई को मुख्यमंत्री के दिए गए बयान का मुद्दा उठाया। उन्होंने आरोप लगाया कि नेता सदन ने बिना गंभीर जांच कराए सामान्य से पाउडर को खतरनाक विस्फोटक बताया और विपक्ष को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की, जिससे पूरी दुनिया में सदन की बदनामी हुई। चौधरी ने कहा कि वह विस्फोटक नहीं बल्कि फर्नीचर साफ करने वाला पाउडर था। इतना ही नहीं चौधरी ने नेता सदन पर विधानसभा पीठ की अनदेखी करने का आरोप लगाते हुए कहा कि जो सूचनाएं अध्यक्ष द्वारा सदन को मिलनी चाहिए थी वह सरकार ने दी। उन्होंने नेता सदन पर कार्रवाई की मांग करते हुए कठघरे में खड़ा करने को भी कहा।

चौधरी के इस बयान पर सत्तापक्ष ने तीखा एतराज जताया। संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना, ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा, उपेन्द्र तिवारी समेत अनेक सदस्यों ने कड़ा प्रतिरोध किया, जिसके जवाब में सपा सदस्यों ने भी हंगामा शुरू कर दिया। सरकार पर बहुमत का घमंड होने का आरोप लगाते हुए शिवपाल यादव, आजम खां, पारसनाथ यादव, रफीक अंसारी, मनोज पांडेय और अमिताभ वाजपेयी सभी सदस्य वेल में पहुंच गए। संसदीय कार्यमंत्री खन्ना ने चौधरी को मर्यादित व्यवहार करने की सलाह देते हुए कहा कि सुरक्षा को नजरअंदाज नहीं किया जाएगा। जब जरूरत होगी सरकार जांच करायेगी। गलत रिपोर्ट देने वाले को बर्खास्त कर दिया गया है। सरकार को बहुमत का घमंड नहीं बल्कि विपक्ष ने दादागिरी दिखानी शुरू कर दी, जिसे बर्दास्त नहीं किया जाएगा। संसदीय कार्यमंत्री के बयान से भड़के सपा सदस्यों ने नारेबाजी शुरू कर दी। हंगामा बढ़ता देख अध्यक्ष हृदयनारायण दीक्षित ने सदन को लगभग 50 मिनट स्थगित रखा।

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