इलाहाबाद । हिंदू नव वर्ष उद्घोष 2075 का स्वागत उत्सव आगामी 18 मार्च को हनुमान मंदिर सिविल लाइंस के प्रांगण में प्रातः 5:00 से 6:30 बजे तक मनाया जाएगा ।
इस कार्यक्रम के आयोजक डॉक्टर बी डी अग्रवाल ने आज पत्रकारों से वार्ता के दौरान उक्त जानकारी देते हुए बताया कि कार्यक्रम का उद्घाटन प्रातः 5:00 बजे ज्योतिष पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी महाराज ज्योतिर्मठ बद्रिकाश्रम करेंगे ।
उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम के आयोजन में सृजन जन सेवा समिति विश्व हिंदू परिषद प्रयाग सेवा भारती प्रयाग नेशनल मेडिकोज ऑर्गनाइजेशन भारत विकास परिषद प्रयाग इत्यादि ने अपना संपूर्ण सहयोग प्रदान किया है ।
डॉ बीडी मिश्रा ने कहा कि आज कान्वेंट कल्चर के चलते हम अपनी भारतीय सभ्यता और संस्कृति को भूलते जा रहे हैं हम नव वर्ष कैलेंडर इयर्स 1 जनवरी से मनाते हैं जबकि हमारे भारतीय सभ्यता और संस्कृति में नव वर्ष नव संवत्सर चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से शुरू होता है
इस वर्ष नव संवत्सर 2075 चैत्र शुक्ल प्रतिपदा कैलेंडर ईयर 18 मार्च 2018 से प्रारंभ हो रहा है जो हम हिंदुओं का नववर्ष है हमें इसका स्वागत आल्हादित होकर एक नई चेतना के साथ करना है ।
उन्होंने कहा कि माना जाता है चैत्र के महीने के शुक्ल पक्ष की प्रथम तिथि को सृष्टि का प्रारंभ हुआ था नव वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन ग्रह और नक्षत्रों में परिवर्तन होता है इस अवसर पर पेड़ पौधों में फूल मंजर कली का प्रारंभ भी होता है वातावरण में एक नया उल्लास होता है और प्रकृति इस नए वर्ष का जो स्वागत करती है उससे मानव मन आल्हादित हो जाता है ।
उन्होंने कहा कि पवित्र नवरात्र का आगमन भी इसी दिन से होता है इसलिए सारी सृष्टि सबसे अधिक क्षेत्र में ही महक रही होती है। वैष्णो दर्शन में चैत्र मास भगवान नारायण का ही रूप है चैत्र मास का आध्यात्मिक स्वरूप इतना उन्नत है कि इसने बैकुंठ में बसने वाले ईश्वर को भी धरती पर उतारने का प्रयास किया है ।
बीबी अग्रवाल ने कहा कि प्रभु श्री राम का अवतार चैत्र शुक्ल नवमी को होता है चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि के ठीक 90 दिन आर्य समाज की स्थापना की तिथि भी यही है यह दिन कल दृष्टि एवं युगादि का प्रारंभिक दिन भी है चैत्र मास का वैदिक नाम है मधुमास अर्थात आनंद बांटते बसंत कामाख्या बसंत आता जाता है फागुन से ही पर पूरी तरह से व्यक्त होता है इसी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन ।
इस कार्यक्रम के आयोजन सचिव डॉक्टर घनश्याम मिश्रा ने कहा कि आज हमारी युवा पीढ़ी अपने भारतीय सभ्यता और संस्कृति को भूलती जा रही है इसलिए उसके अंदर नवीन सामाजिक चेतना पैदा करने के लिए सामाजिक सहकारिता के लिए नई समवेत उर्जा व उत्साह के लिए नई सामाजिक सहभागिता के लिए स्वराष्ट्र के लिए समर्पण आत्मोत्सर्ग की भावना के विकास के लिए स्वास्थ्य भाई मुख्य विचार मुक्त समाज के निर्माण के लिए और सामाजिक सद्भाव वास्तव हार्दिक के लिए हम इस चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को हम सब पर्यायवाची एक नया आयाम उद्घोष 2075 के रूप में मनाएंगे नव वर्ष के रविदास के प्रथम आगमन का स्वागत तुमुल समवेत शंखनाद ओम के उच्चारण एवं जलांजलि के अभिषेक करके इसका स्वागत करेंगे ।
उन्होंने बताया कि इस अवसर पर लगभग डेढ़ सौ लोग एक साथ शंखनाद करेंगे । उन्होंने कहा कि फिजिक्स के अनुसार शंख की ध्वनि लंबी वेब तरंगों के रूप में निकलती हैं जो इस पृथ्वी के वातावरण को स्वच्छ करती हैं ।उन्होंने कहा कि चैत्र नवरात्रि के अवसर पर पूरी धरा नव संवत्सर नव संस्कृति के स्वागत के लिए तत्पर रहती है इसलिए हम लोग भी इस के स्वागत को तत्पर हैं ।
उन्होंने कहा कि यह युगांतरकारी परिवर्तन है या धार्मिक नहीं सांस्कृतिक आंदोलन है हो सकता है हम इस बार इस आयोजन में सफल ना हो पाए परंतु अगली बार पुनः इस आंदोलन को जारी रखेंगे और उस बार भी विफल होने पर उसके बाद भी जारी रखेंगे इस आंदोलन को हम लगातार जारी रखेंगे कभी न कभी हम इसमें अवश्य सफल होंगे और अपनी आने वाली पीढ़ियों को अपने भारतीय सभ्यता और संस्कृति से अवश्य परिचित कराएंगे ।
पत्रकार वार्ता के दौरान डॉक्टर सुशील कुमार सिन्हा और सेवा भारती के अजय जी भी उपस्थित थे ।
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