लखनऊ । राजभवन के पास लूट और हत्या के अगले ही दिन मीडिया की टेस्ट रिपोर्ट में पुलिस की मुस्तैदी की कलई खुल गई। घटना के बाद डीजीपी से लेकर सभी बड़े अफसरों ने मौके पर पहुंचकर राजभवन रोड पर चाकचौबंद सुरक्षा का दावा किया था, लेकिन 24 घंटे बाद ही उनके सारे दावे हवाहवाई साबित हुए।
वारदात के समय पौने चार बजे से घंटेभर हजरतगंज चौराहे से बंदरियाबाग चौराहे तक संवदाताओं ने पड़ताल की। यहां सुरक्षा को लेकर संख्या से कम पुलिसकर्मी नजर आए, जो थे भी उनमें कोई आराम कर रहा था या तो कोई मोबाइल फोन में गेम खेल रहा था। शाम 4:35 के करीब राजभवन से राज्यपाल की फ्लीट निकली तब पुलिस और ट्रैफिककर्मी सक्रिय नजर आए, लेकिन उनके निकलने के बाद फिर सारी मुस्तैदी धराशाई हो गई। पड़ताल के दौरान हजरतगंज चौराहे पर एक भी ट्रैफिक और पुलिसकर्मी नजर नहीं आया, कुछ पुलिसकर्मी थे भी तो वह किनारे बने बूथ में कुर्सी पर आराम फरमा रहे थे।
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