इलाहाबाद । उत्तर प्रदेश के स्टाम्प एवं रजिस्ट्रेशन विभाग ने अपने वार्षिक राजस्व लक्ष्य का 21 प्रतिशत हासिल कर लिया है। अप्रैल-जून तिमाही में, विभाग ने स्टाम्प ड्यूटी (मुद्रांक शुल्क) कलेक्शन के माध्यम से 3759.79 करोड़ रुपये जुटाये हैं।
विभाग राजस्व पर करीब से नजर रखे हुये है और वित्त वर्ष 2018-19 में 18,000 करोड़ रुपये के वार्षिक लक्ष्य की दिशा में काम कर रहा है।
झांसी, गोरखपुर और विंध्याचल सहित डिवीजनों को 25 प्रतिशत से अधिक राजस्व लक्ष्य प्राप्त हुआ। इस बीच, चित्रकूट डिवीजन ने वित्त वर्ष 2018-19 की पहली तिमाही में अपने वार्षिक लक्ष्य का 30 प्रतिशत प्राप्त किया हे।
विभाग ने उत्तर प्रदेश में राजस्व प्राप्ति को सुधारने के लिए कई पहलों की पेशकश की है। विभाग ने प्रॉपर्टी एवं अन्य सेवाओं के ऑनलाइन पंजीकरण का रुख किया है। इस उद्देश्य के लिए, स्टॉफ को पंजीकरण के लिए सुचारू सेवा सुनिश्चित करने हेतु प्रशिक्षित किया गया है। साथ ही, विभाग पंजीकरण प्रक्रिया के लिए टोल-फ्री नंबर लाने पर भी काम कर रहा है।
उन जिलों के लिए लक्ष्यों में सुधार आया है जहां ई-पंजीकरण को दिसंबर 2017 में पहले शुरू किया गया था।
शुरुआत में, ई-पंजीकरण की सुविधा को लखनऊ सहित उत्तर प्रदेश के पांच शहरों में उपलब्ध कराया गया था। अन्य चार शहर थे – बरेली, मुरादाबाद, कासगंज और बाराबंकी। मॉडल को दूसरे शहरों में भी दोहराया जा रहा है।
स्टाम्प एवं रजिस्ट्रेशन विभाग के मंत्री श्री नंद गोपाल गुप्ता ने कहा, “विभाग पंजीकरण प्रक्रिया को पारदर्शी, आसान और ऑनलाइन उपलब्ध कराने के लिए काम कर रहा है। ‘डिजिटल इंडिया’ को सफल बनाने के लिए, हमने पिछले साल शुरुआत में कुछ जिलों के लिए ऑनलाइन पंजीकरण की प्रक्रिया आरंभ की थी। उन जिलों से प्राप्त राजस्व में सफलतापूर्वक बढ़ोतरी हुई है। हम डिफॉल्टिंग बिल्डर्स पर नजर रख रहे हैं जो ग्राहकों को बेवकूफ बनाते हैं।”
मंत्रीजी ने कहा कि 100 प्रतिशत लक्ष्य हासिल करने के लिए, डीआइजी एवं एआइजी स्तर के कार्यालयों में हर महीने समीक्षा बैठकें आयोजित हो रही हैं।
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