नई दिल्ली । लंबे समय से एम्स (AIIMS) में भर्ती पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का गुरुवार 16 अगस्त को 93 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. एम्स अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांस ली. ये पूरे देश के लिए बड़ा झटका है ।
अटल बिहारी वाजपेयी संसद में अपने जोरदार भाषण और कविताओं के लिए जाने जाते थे. अटल बिहारी वाजपेयी की हालत पिछले 24 घंटों में काफी बिगड़ गई थी और उन्हें लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया था. एम्स ने देर रात मेडिकल बुलेटिन जारी कर पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की हालत बेहद नाजुक होने की जानकारी दी थी ।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का पिछले 9 हफ्तों से एम्स में इलाज चल रहा था. बुधवार शाम अटल बिहारी वाजपेयी का हाल जानने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी एम्स अस्पताल गए थे. उनके अलावा केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और स्मृति ईरानी के साथ कई दिग्गज नेता लगातार अस्पताल पहुंच रहे थे. इससे पहले गृह मंत्री राजनाथ सिंह और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने शनिवार 11 अगस्त को एम्स जाकर अटल बिहारी वाजपेयी की सेहत के बारे में जानकारी ली थी. 11 जून को उन्हें किडनी और यूरिन में संक्रमण के कारण एम्स में भर्ती कराया गया था ।
वाजपेयी को गुर्दा (किडनी) नली में संक्रमण, छाती में जकड़न, मूत्रनली में संक्रमण आदि के बाद 11 जून को एम्स में भर्ती कराया गया था. मधुमेह के शिकार 93 वर्षीय भाजपा नेता का एक ही गुर्दा काम करता है. पूर्व प्रधानमंत्री एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया की निगरानी में हैं. वाजपेयी की सेहत पर कुछ दिन पहले एम्स की ओर से मेडिकल बुलेटिन जारी किया गया था जिसमें उनकी सेहत स्थिर बताई गई थी ।
अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रधानमंत्री के रूप में तीन बार देश का नेतृत्व किया था. वे पहली बार साल 1996 में 16 मई से 1 जून तक और 19 मार्च 1998 से 26 अप्रैल 1999 तक और फिर 13 अक्टूबर 1999 से 22 मई 2004 तक देश के प्रधानमंत्री रहे. अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी के कवि, पत्रकार और प्रखर वक्ता थे. भारतीय जनसंघ की स्थापना में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही. वे 1968 से 1973 तक जनसंघ के अध्यक्ष भी रहे ।
आजीवन राजनीति में सक्रिय रहे अटल बिहारी वजपेयी लम्बे समय तक राष्ट्रधर्म, पाञ्चजन्य और वीर अर्जुन आदि पत्र-पत्रिकाओं के सम्पादन भी कर चुके थे. अटल बिहारी वाजपेयी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के समर्पित प्रचारक रहे और इसी निष्ठा की वजह से उन्होंने आजीवन शादी नहीं करने का संकल्प लिया था ।
सर्वोच्च पद पर पहुंचने तक उन्होंने अपने संकल्प को पूरी ईमानदारी से निभाया. 25 दिसंबर 1924 को जन्मे अटल बिहारी वाजपेयी ने 1942 में बारत छोड़ो आंदोलन की राजनीति में कदम रखा. उन्हें श्रेष्ठ राजनेताओं में गिना जाता है ।
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