इलाहाबाद । इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष एवं वर्तमान अध्यक्ष पद के प्रत्याशी आई के चतुर्वेदी ने आज पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि बार और बेंच के बीच मजबूत संबंध होना अति आवश्यक है ।
उन्होंने कहा कि बार और बेंच के बीच वार्ता में गतिरोध उत्पन्न होना वादकारियों के लिए अत्यंत घातक साबित हो रहा है ।
श्री चतुर्वेदी ने कहा कि सरकारें उच्च न्यायालय एवं उच्चतम न्यायालय लगातार वादकारियों को त्वरित न्याय देने की बात करते है परंतु वर्तमान में उच्चतम न्यायालय उच्च न्यायालय में जो सिस्टम लागू किया गया है सीआई एस सिस्टम त्वरित न्याय देने में पूरी तरह अक्षम सबित हो रहा है जिसकी खामियों के कारण वादकारियों एवम अधिवक्ताओं दोनों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि फ्रेश मुकदमे भी दाखिल करने पर सी आई एस सिस्टम में खामियों के चलते मुकदमा कब लिस्टिंग होगा कब किस कोर्ट में लगेगा कोई अता पता नहीं होता और वहीं कुछ प्रभावशाली बड़े अधिवक्ताओं के मुकदमे वह जब चाहते हैं जिस अदालत में चाहते हैं वहां लग जाता है और इन तमाम खामियों पर हाईकोर्ट प्रशासन का कोई नियंत्रण नहीं है यह बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है ।
उन्होंने कहा कि यदि मैं अध्यक्ष पद पर चुना जाता हूं तो मेरा सबसे पहला कार्य चीफ जस्टिस से मिलकर इस सीआई एस सिस्टम पर नियंत्रण या पूर्व व्यवस्था लागू करने पर बात करने का होगा और पूरा प्रयास होगा कि पुनः जो पुराना सिस्टम था उसको लागू कराया जाए जिससे मुकदमे जल्दी लिस्ट होकर जल्दी सुनवाई पर आएं और वादकारियों को त्वरित न्याय मिल सके ।
उन्होंने कहा कि सभी माननीय न्यायमूर्ति गण एक समान कार्य नहीं कर पाते कुछ लोग बहुत ज्यादा तेजी से मुकदमों का डिस्पोजल करते हैं परंतु कुछ न्यायमूर्ति के कोर्ट में मुकदमों के निस्तारण की प्रक्रिया सुस्त होती है पूर्व सिस्टम में मुख्य न्यायमूर्ति जब देखते थे कि किसी अदालत में मुकदमे तेजी से निपट गए हैं और दूसरी अदालत में मुकदमे ज्यादा हैं वह तत्काल अन्य मुकदमों को जहां मुकदमे खत्म हो गए वहां भेज दिया करते थे परंतु आज सीआई एस सिस्टम में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है जिससे पेंडिंग मुकदमों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है और इससे अधिवक्ता और मुवक्किल दोनों प्रभावित हो रहे हैं।
आई के चतुर्वेदी ने कहा कि अध्यक्ष बनते ही मैं सबसे पहले यह कार्य करना चाहता हूं कि समस्त अधिवक्ताओं को 1000000 तक का इंश्योरेंस दिया जाए ।उन्होंने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट भारत का सबसे बड़ा हाईकोर्ट माना जाता है परंतु हमारा दुर्भाग्य है कि हमेशा हमें आयातित चीफ जस्टिस ही मिलते है क्या हमारे इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक भी अधिवक्ता और न्यायमूर्ति इस काबिल नहीं है कि उन्हें उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश बनाया जा सके हम इसका विरोध करते हैं और हम चाहते हैं कि हमारे बीच के जजों को ही मुख्य न्यायाधीश के पद पर रखा जाए ।
श्री चतुर्वेदी ने कहा कि मेरी सबसे बड़ी प्राथमिकता अधिवक्ताओं का चेंबर, हाउसिंग सोसायटी ,अस्पताल में निशुल्क उपचार की व्यवस्था ,सामूहिक इंश्योरेंस और नए अधिवक्ताओं को स्टाइपेंड दिलाना होगा ।
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