नगर पंचायत सिराथू में आयोजित रामलीला में चित्रकूट से आए कलाकारों ने सीता स्वयंवर व परशुराम संवाद का आकर्षक मंचन किया। धनुष टूटने के बाद शिव भक्त परशुराम के क्रोधित मंचन को देखकर लोग भाव-विभोर हो उठे। सीता स्वयंवर के बाद लीला को आगे बढ़ाते हुए दिखाया गया कि महेंद्राचल पर्वत पर तपस्या में लीन महात्मा परशुराम की समाधि अचानक उस समय भंग होती है जब मिथिला में रखे भगवान शिव के धनुष के टूटने की आवाज होती है। परशुराम ध्यान क्रिया के द्वारा देखते हैं तो ज्ञात होता है कि मिथिला में रखे भगवान शिव के धनुष का खंडन हो चुका है। इस पर वे क्रोध में आकर मिथिला को प्रस्थान करते हैं। वहां पहुंचकर उपस्थित सभी राजाओं को डराने धमकाने लगते हैं कि धनुष को किसने तोड़ा है। जिसने भी धनुष तोड़ा है वह सहस्रबाहु केसमान मेरा शत्रु है। मैने जिस प्रकार 21 बार हैहैय वंश केक्षत्रियों का पृथ्वी पर विनाश किया है उसी प्रकार धनुष तोडऩे वाले उस दोषी का मै सर्वनाश कर दूंगा। परशुराम की क्रोध भरी वाणी को सुनकर मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने उनसे विनय किया कि हे महात्मा परशुराम शिव के धनुष को तोडऩे वाला कोई और नहीं बल्कि आपका कोई सेवक ही होगा।
अनुनय विनय के बाद भी जब परशुराम का क्रोध शांत नहीं हुआ तो लक्ष्मण क्रोध से तमतमा उठे। तब परशुराम एवं लक्ष्मण का बड़ा ही मोहक व क्रांतिकारी संवाद हुआ। अंतत: परीक्षा स्वरूप में श्री राम ने परशुराम के गाण्डीव धनुष की प्रत्यंचा को चढ़ाकर दिखा दिया तो परशुराम को यह विश्वास हो गया कि भगवान शिव के धनुष का खंडन करने वाले कोई और नहीं, बल्कि श्री राम हैं।
रामलीला में सजीव चित्रण करने वाले कलाकारों की कलाओं को लोगों ने जहां सराहा, वहीं लोगों ने श्रीराम भगवान पर आस्था भी जाहिर करते हुए उन्हें प्रणाम भी किया। रामलीला के मंचन का कार्यक्रम आगे अभी और भी चलेगा।
इस मौके पर राम लीला कमेटी केअध्यक्ष हरीमोहन वर्मा, वीरेंद्र कुमार, रंजीत, संजय वर्मा, प्रमोद केशरवानी, अशोक केशरवानी, चिरौंजीलाल केशरवानी, बेनी प्रसाद केशरवानी, ओम प्रकाश, अशोक लड्ïडन, राकेश कुमार केशरवानी सभासद, साधू महाराज आदि तमाम लोग उपस्थित रहे।
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